आगरा(ब्यूरो)। यह गैैंग लड़कियों को इन फोटो व वीडियो को दिखाकर ब्लैकमेल करता था। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इस मामले को प्रमुखता से शनिवार को प्रकाशित किया था। इसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी शनिवार को मुख्य आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। आश्चर्य की बात यह है कि यह आरोपी 12 वीं क्लास का स्टूडेंट है।
क्या इन फोटो को बेचा भी गया?
पुलिस अब इस मामले में यह जांच करने की कोशिश कर है कि यह गिरोह कब से एक्टिव है? क्या किसी पोर्न साइट को यह डाटा बेचा तो नहीं जा रहा? इनके चंगुल में कितनी लड़कियां फंसी हुई हैैं? थाना सिकंदरा प्रभारी आनंद कुमार शाही ने बताया कि केस दर्ज कर पुलिस छानबीन कर रही है। साइबर सेल की भी मदद ली जा रही है। लड़कियों का डाटा किस तरह लेते थे और उसका दुरुपयोग किस तरह किया जाता था। इन सभी बिंदुओं की साइबर सेल पड़ताल कर रही है।
शास्त्रीपुरम इलाके के कॉलेज के हैं स्टूडेंट्स
नाबालिग छात्राओं को ब्लैकमेल करने वाला मुख्य आरोपी 12वीं क्लास का छात्र है, उसके पिता एसएन मेडिकल कॉलेज के कर्मचारी है। वो अपने साथियों के साथ गैंग बनाकर किशोरियों को ब्लैकमेल करने का काम करता था। पुलिस ने इस संबंध में एक संस्था की मदद से दो दर्जन से अधिक युवकों पर एफआईआर दर्ज कराई है। इसमें से कुछ की पहचान कर ली गई है। ये सभी सोशल मीडिया व स्कूल और कॉलेजों में पढऩे वाली नाबालिग स्टूडेंट्स को टारगेट करते थे।
पीडि़ताओं को सर्च कर कराएगी बयान दर्ज
पुलिस ने इस संबंध में एक युवक को हिरासत में लिया है, उससे पूछताछ की जा रही है, वहीं पुलिस शिकायत के बाद पीडि़त नाबालिग जो ब्लैकमेलिंग का शिकार हुई हैं, उनकी तलाश कर रही है, जिससे आरोपियों के बारे में जानकारी के साथ उनके बयानों को दर्ज कराया जा सके।
शातिर हैं गैंग के लड़के
नाबालिग को ब्लैकमेल करने वाले गैंग के लड़के शातिर हैं, वे एक छात्रा के जरिए दूसरी छात्राओं के संपर्क में आकर ब्लैकमेलिंग का खेल शुरू करते हैं। सोशल मीडिया की मदद से उनका प्रोफाइल पता करने के बाद वसूली के लिए उनके घर तक पहुंच जाते हैं। आरोपियों के पास से तीन सौ से अधिक न्यूड फोटो और वीडियो बरामद की गई हैं। इससे आरोपी किशोरियों को उनका फोटो एडिट करके अश्लील बनाए गए हैं।
केस वन
नाबालिग को हुआ गलती का अहसास
जगदीशपुरा की रहने वाली किशोरी की दोस्ती इंस्टाग्राम पर युवक से हुई। दोनों के बीच बातचीत होने लगी। किशोरी उससे मिलने एटा चली आई। मगर, दोस्त बताई गई जगह पर नहीं आया। किशोरी को लावारिस घूमते देख एक संस्था ने सूचना दी। उसने काउंसलिंग में बताया कि युवक से दोस्ती कैसे हुई थी। उसे अपनी गलती का अहसास भी हुआ कि वर्चुअल दुनिया की दोस्ती पर इस तरह भरोसा नहीं करना चाहिए।
केस दो
दोस्त ने कर दी आईडी डिलीट
किशोरी की दोस्ती फेसबुक पर युवक से हुई। दोनों के बीच बातचीत होने लगी। किशोरी उससे मिलने के लिए आगरा से बाहर चली आई। किशोरी से मिलने नहीं आया तो वह बस स्टैंड के पास लावारिस हालत में भटकती मिली। जिस पर चाइल्ड लाइन को जानकारी मिली। उसे अपने साथ लेकर आई, फेसबुक मित्र का एकाउंट चेक किया तो उसने अपनी आईडी डिलीट कर दी थी। इस पर किशोरी को उसके परिजनों को सौंप दिया।
आंकड़ों पर एक नजर
-111, आगरा में एक जनवरी से 31 दिसंबर 2021 के दौरान बच्चों ने घर छोड़ा।
-123, आगरा में एक जनवरी 2022 से दिसंबर 2022 के दौरान बच्चों ने घर छोड़ा।
ये भी हैं कारण
-किशोरवय में एक दूसरे की प्रति अटरेक्शन
-परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होना
-खुद को माता-पिता द्वारा उपेक्षित महसूस करना
-पिता का शराब पीकर बच्चों को पीटना, गाली, गलौज करना
साइबर क्राइम के प्रति भी बालक-बालिकाओं को सचेत करने की जरूरत है। पेरेंट्स को भी अपने बच्चों की गतिविधि पर ध्यान देना चाहिए। सोशल मीडिया के जरिए झांसे में आकर वो धोखे का शिकार हो रहीं हैं।
नरेश पारस, समाजसेवी
इस मामले की जांच की जा रही है, मुकदमा दर्ज किया गया है, वहीं पीडि़तों को भी सर्च किया जा रहा है, जिससे उनसे पूछताछ की जा सके। इस संबंध में एक सामाजिक संस्था ने कंप्लेन की थी।
आनंद कुमार शाही, थाना प्रभारी
इसका सबसे बड़ा कारण पेरेंट्स की अनदेखी है अधिकतर पेरेंट्स अपनी लाइफ में व्यस्त है, बच्चों से कम्यूनिकेशन गेप हो रहा है, जिससे बच्चे भी वर्चुअल दुनिया को ही सच समझ लेते हैं, और धोखे का शिकार हो जाते हैं।
डॉ। पूनम तिवारी, मनोवैज्ञानिक