आगरा(ब्यूरो)। इन भ्रांतियों को दूर करने और टीबी रोगियों की हिम्मत बढ़ाने के लिए आगरा में टीबी चैंपियन अपना अनुभव साझा कर रहे हैं। वे उन्हें बता रहे हैं कि टीबी का उपचार संभव है। वे टीबी रोगियों और उनके परिवार के सदस्यों को टीबी के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैैं और टीबी मुक्त भारत अभियान में अपना योगदान दे रहे हैं।

भेदभाव होता है तो उसका मनोबल टूटता है

चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉ। अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि से स्वस्थ होने के बाद जिले में 16 टीबी चैैंपियन अपना अनुभव साझा कर टीबी मरीजों की मदद कर रहे हैैं। वह उन्हें लगातार दवाओं का सेवन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ। सीएल यादव ने बताया कि यदि टीबी मरीज से भेदभाव होता है तो उसका मनोबल टूटता है। टीबी चैैंपियन और विभाग द्वारा समुदाय में इसके प्रति जागरुकता बढ़ाई जा रही है।
कविता लिख कर रहीं प्रेरित
टीबी चैंपियन पूनम कुमारी छीपीटोला आगरा वेस्ट की रहने वाली हैं। पूनम कुमारी जिला अस्पताल स्थित टीबी सपोर्ट हब के क्षेत्र में कार्य करती हैैं। वह मलिन बस्तियों और घनी आबादी वाली बस्तियों में जाकर 50 लोगों को एकत्र कर सामुदायिक बैठक आयोजित करके कविता के माध्यम से लोगों को क्षय रोग और टीबी मरीज से भेदभाव ना करने और उनका सहारा बनने के लिए जागरूक करती हैैं। पूनम ने बताया कि वह सामुदायिक बैठक और भेदभाव पर काम कर रही हैं। वह सामुदायिक बैठक कर मल्टीड्रग रेजिस्टेंस (एमडीआर) टीबी के बारे में और मरीजों से भेदभाव के बारे में अपने द्वारा लिखी गई कविता के माध्यम से लोगों को जागरुक करती हैैं।

मरीजों को कर रहे जागरुक
रामबाग क्षेत्र में काम कर रहे टीबी चैंपियन त्रिलोकीनाथ पोरवाल ने बताया कि रामबाग निवासी एक मरीज को दवा खाने से भय हो रहा था कि लोगों को पता चल जाएगा कि उन्हें टीबी है। इससे उनके विवाह में रुकावट आ सकती है। जब मरीज ने दवा का सेवन बंद कर दिया तो त्रिलोकीनाथ ने मरीज से फोन पर संपर्क किया और फोन के माध्यम से ही काउंसलिंग की। इसके बाद मरीज और उसके परिवार को टीबी के ट्रीटमेंट की गंभीरता समझ आई और उन्होंने दोबारा से दवाएं शुरू कर दीं।

पढ़ाई के साथ कर रहीं जागरुक
शिवानी 12 वीं क्लास में पढ़ती हैं और वे पढ़ाई के साथ-साथ ईस्ट आगरा में बतौर टीबी चैंपियन टीबी रोगियों की मदद कर रही हैं। शिवानी ने बताया कि वह दो साल पहले टीबी रोग से ग्रसित हो गई थीं। यह बात पता चलते ही पहले तो वे थोड़ी मायूस हुईं लेकिन पिता ने ढांढस बंधाया और सही समय पर दवा खाते हुए उपचार पूरा कराया और वे स्वस्थ हो गईं। शिवानी ने बताया कि वह टीबी चैंपियन के रूप में टीबी रोगियों की काउंसलिंग करती हैं। उन्हें टीबी के उपचार के बारे में बताती हैं और उन्हें समझाती हैं कि टीबी सही समय पर दवाइयों का सेवन करने से आसानी से ठीक हो सकता है।


टीबी और उसके उपचार के बारे में मरीजों को टीबी चैैंपियन जागरुक कर रहे हैैं। जिससे कि मरीजों का मनोबल बढ़े।
- डॉ। अरुण श्रीवास्तव, सीएमओ

16 टीबी चैैंपियन काम कर रहे आगरा में
4863 टीबी मरीज मिले 2023 में

टीबी के लक्षण
तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होना
सांस फूलना
सांस लेने में तकलीफ होना
शाम के दौरान बुखार का बढ़ जाना
सीने में तेज दर्द होना
अचानक से वजन का घटना
भूख में कमी आना
बलगम के साथ खून आना