आगरा(ब्यूरो)। यदि इन मरीजों की सही समय पर पहचान हो जाए और उन्हें उपचार मिल जाए तो उन्हें बचाया जा सकता है। इन विषयों पर आगरा स्थित आईटीसी मुगल शेरेटन होटल में इंडियन एसोसिएशन ऑफ सर्जिकल ऑन्कोलॉजी द्वारा आयोजित मिड कॉन्फ्रेंस-2023 में देशभर से आए कैंसर सर्जन ने चर्चा की।
गुजरात से आए डॉ। जयेश रावल ने बताया कि केवल दस परसेंट कैंसर जेनेटिक कारणों से होता है। अन्य 90 परसेंट कैंसर मरीजों को कैंसर एनवायरमेंट के कारण होता है। इसमें खराब हवा से लेकर, तंबाकू का सेवन, स्मोकिंग करना, पेस्टिसाइड युक्त भोजन करना और सेडेंट्री लाइफस्टाइल (खराब जीवनशैली) शामिल है। उन्होंने कहा कि कैंसर का सबसे मुख्य कारण तंबाकू उत्पाद हैैं। यदि तंबाकू उत्पादों को बैन कर दिया जाए 50 से 60 परसेंट कैंसर के मामलों में कमी आ सकती है।
लगातार बढ़ रहे लंग कैंसर के मामले
एम्स दिल्ली के डॉ। सुनील कुमार ने लंग कैंसर पर बोलते हुए कहा कि देश में लंग कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैैं। बीते एक साल में 80 हजार लंग कैंसर के मरीज सामने आए हैैं। अगले साल यह संख्या एक लाख हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इसका कारण स्मोकिंग करना, तंबाकू का सेवन करना और बढ़ता एयर पॉल्यूशन है। खराब हवा में सांस लेना स्मोकिंग करने के समान है। खराब हवा नें कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे विषैले तत्व फेंफड़ों तक पहुंचने से लंग कैंसर होने का खतरा रहता है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर केसों में देर से कैंसर डिटेक्ट हो पाता है। यदि मरीज दूसरी स्टेज तक आ जाएं तो उन्हें बचाना संभव हो जाता है।
टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की थोरासिक सर्जरी की प्रोफेसर डॉ। सविता जीवरानी ने बताया कि हमारे देश में टीबी के काफी मरीज हैैं। इस कारण ट्यूबरक्लोसिस और लंग कैंसर में डिफरेंस करना मुश्किल होता है। स्टडी में सामने आया है कि कई बार लंग कैंसर के मरीज को टीबी का ट्रीटमेंट दिया जाता है। एक्स-रे या सीटी में लंग्स में कुछ धब्बे दिखें तो जरूरी नहीं कि वह टीबी हो। उन्होंने कहा कि लगभग 22 परसेंट लंग कैंसर के मरीजों को टीबी का ट्रीटमेंट दिया जाता है। इसके कारण मरीज को सही ट्रीटमेंट नहीं मिलने से उनका कैंसर एडवांस स्टेज पर पहुंच जाता है। उनका कैंसर फ्री करना मुश्किल हो जाता है।
मुंह का कैंसर बहुत बढ़ रहा
कॉन्फ्रेंस के ऑर्गनाइजिंग कमेटी के प्रेसिडेंट डॉ। संदीप अग्रवाल ने बताया कि कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन मुंह और गले के कैंसर के बारे में चर्चा हुई। इसमें सर्जरी के दौरान स्वरयंत्र को बचाकर सर्जरी करने पर चर्चा हुई। ब्रेस्ट कैंसर को लेकर नई सर्जरी विधि और बढ़ते कैंसर को रोकने पर चर्चा हुई। दूसरे दिन के सत्र का उद्घाटन अटल बिहारी यूनिवर्सिटी लखनऊ के वाइस चांसलर प्रो। संजीव मिश्रा ने किया।
बन जाएगा नया जबड़ा
जयपुर महावीर कैंसर हॉस्पिटल के एचओडी डॉ। संजीव पटनी ने बताया कि नई तकनीक से मुंह के कैंसर में जबड़े माइक्रो वैस्कुलर सर्जरी की मदद से पैर की हड्डी लेकर बनाया जाता है। इससे मुंह पहले की तरह फंक्शन करने लगता है। उन्होंने कहा कि ओरल हाईजीन न होने के कारण भी मुंह का कैंसर होता है। इसके साथ ही यदि शार्प टीथ होने से भी मुंह का कैंसर हो जाता है। इसलिए किसी के शार्प टीथ हैैं तो वह खुद को डेंटिस्ट को दिखा लें।
ओरल कैंसर तीसरा डेथ का सबसे बड़ा कारण
बढ़ते कैंसर के मुख्य कारण
- तंबाकू का सेवन करना
- स्मोकिंग करना
- एयर पॉल्यूशन होना
- ओरल हाईजीन के प्रति अवेयर न होना
- जेनेटिक कारण होना
15 लाख नए कैंसर मरीज मिलते हैैं भारत में
08 लाख कैंसर मरीजों की हर साल हो जाती है मौत
80 हजार लंग कैंसर के होते हैैं मरीज
01 लाख हो जाएगी अगले साल लंग कैंसर मरीजों की संख्या
युवाओं में भी कैंसर तेजी से बढ़ रहा है। पुरुषों में ओरल कैंसर सबसे ज्यादा होता है। यह सभी कैंसर में तीसरा सबसे ज्यादा मौत का कारण है।
- अजिंक्य पवार, गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टीटयूट अहमदाबाद
तंबाकू कैंसर के लिए मुख्य कारण है। मुंह के कैंसर की सर्जरी हम सबसे ज्यादा करते हैैं। यदि तंबाकू को बैन कर दिया जाए तो 50 परसेंट कैंसर केस कम हो सकते हैैं।
-डॉ। जयेश रावल, कैंसर सर्जन गुजरात
ओरल हाईजीन का ध्यान न रखने से भी मुंह का कैंसर हो सकता है। नई तकनीक में पैर से हड्डी लेकर नया जबड़ा रिकंस्ट्रक्ट किया जा रहा है। इससे मुहं पहले जैसा हो जाता है।
-डॉ। संजीव पटनी, एचओडी महावीर कैंसर इंस्टीट्यूट, जयपुर
कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन मुंह और गले के कैंसर के बारे में चर्चा हुई। इसमें सर्जरी के दौरान स्वरयंत्र को बचाकर सर्जरी करने और ब्रेस्ट कैंसर की सर्जरी की नई विधि पर चर्चा हुई।
- डॉ। संदीप अग्रवाल, चेयरमैन, ऑर्गेनाइजिंग कमेटी
हमारे देश में ट्यूबरकुलोसिस और लंग कैंसर में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। कई बार लंग कैंसर के मरीज को टीबी का ट्रीटमेंट दिया जाता है। इससे मरीज एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है।
- डॉ। सविता जीवरानी, थोरासिक सर्जन, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल
बीते एक साल में 80 हजार लंग कैंसर के मरीज सामने आए हैैं। अगले साल यह संख्या एक लाख हो जाएगी। इसका कारण स्मोकिंग करना, तंबाकू का सेवन करना और बढ़ता एयर पॉल्यूशन है।
- डॉ। सुनील कुमार, लंग कैंसर स्पेशलिस्ट, एम्स दिल्ली
कैंसर की सही समय पर पहचान हो जाए तो उपचार के जरिए मरीज को कैंसर फ्री किया जा सकता है। इसके साथ ही कैंसर से बचाव भी किया जा सकता है।
- डॉ। नरेंद्र देव, कैंसर सर्जन
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इन लक्षणों से पहचाने मुंह का कैंसर
-होंठ या मुंह का घाव जो ठीक नहीं हो रहा हो
-मुंह के अंदर एक सफेद या लाल रंग का पैच
-कमजोर दांत
-मुंह के अंदर गांठ
-मुंह में दर्द
- कान में दर्द
-निगलने में कठिनाई
- बोलने में बदलाव