अखिलेश यादव ने ये बयान लखनऊ में बदायूं की घटना की समीक्षा के दौरान दिया.
गौरतलब है कि 14 और 16 साल की जिन दो लड़कियों के साथ पहले सामूहिक बलात्कार हुआ और फिर उनकी हत्या कर दी गई, उनके परिजन भी सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे.
शुक्रवार को अखिलेश यादव के एक पत्रकार को दिए उस जवाब की कड़ी आलोचना हुई थी जिसमें उन्होंने कानून व्यवस्था पर पूछे गए सवाल पर उलटे पत्रकार से उनकी सुरक्षा के बारे में पूछा था.
शनिवार को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बलात्कार पीड़ित के परिवार से मुलाकात की और मामले की सीबीआई जांच की मांग की.
राहुल गांधी ने कहा, "उनकी इज़्ज़त पैसे से वापस नहीं मिलने वाली. उन्होंने ये भी कहा है कि उत्तर प्रदेश की पुलिस उन्हें न्याय नहीं दे सकती है. सीबीआई जांच होनी चाहिए. सीबीआई जांच से भी ज़रूरी है कि (उन्हें) न्याय मिलना चाहिए."
उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था के मुद्दे पर अखिलेश यादव सरकार पर भारी दबाव है.
इन घटनाओं के मद्देनज़र समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के कुछ दिन पूर्व दिए उस बयान को भी दोहराया जा रहा है जिसमें उन्होंने बलात्कार को लड़कों की गलती करार दिया था.
उधर बदायूं की ताज़ा घटना में पुलिस को जिन पाँच लोगों की तलाश थी, उन सभी को गिरफ़्तार कर लिया है.
इनमें से तीन लोगों के ऊपर सामूहिक बलात्कार और हत्या का आरोप है. वहीं दो पुलिसकर्मियों के ऊपर आरोप है कि उन्होंने तीन अभियुक्तों की मदद की और गाँव के लोग उनसे मदद माँगने आए तो उनकी मदद नहीं की.
बुधवार की शाम दो चचेरी बहनें शौच के लिए ही पास के खेत में गई थीं. लेकिन उसके बाद वो कभी नहीं लौटीं. अगली सुबह पेड़ से उन दोनों के शव लटके मिले. उनका सामूहिक बलात्कार किया गया था.
परिजनों का कहना है कि जब वो अपनी लड़कियों के गुम होने की रिपोर्ट लिखाने पहुंचे तो पुलिस वाले उन पर कथित तौर पर हंसे. परिजनों के यह कहने पर पुलिस वालों ने मज़ाक़ उड़ाया कि उन्होंने अपने पड़ोसियों से सुना है कि दोनों बहनों के साथ कुछ पुरूष थे.
परिजनों का कहना है कि इस पूरी घटना के पीछे जाति आधारित भेदभाव एक बड़ी वजह है जबकि पुलिस इससे इनकार करती है.
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