जर्मनी में वैज्ञानिकों ने रसोईघरों के 14 स्पंजों से मिले सूक्ष्मजीवों के डीएनए का अध्ययन किया और पाया कि इसमें 'मोराक्सेला ऑस्लोएन्सिस' जैसे बैक्टीरिया हैं जो कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में आसानी से इनफेक्शन फैला सकते हैं। गंदे कपड़ों में आने वाली गंध के पीछे भी यही बैक्टीरिया होता है। गीसन स्थित योस्तुस लीबेश यूनिवर्सिटी के इंस्टिट्यूट ऑफ अप्लाइड माइक्रोबायोलजी के मासिमिलानो कार्डिनाल कहते हैं, 'हमारे काम से पता चलता है कि किचन स्पंज में अपेक्षा से कहीं ज़्यादा तरह के बैक्टीरिया होते हैं।'
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साबुन से धोने पर मुश्किल हो रहे हालात
बार बार इस्तेमाल किए जाने वाले किचन स्पंज में बैक्टीरिया आसानी से फल और फूल रहे हैं। अगर आपको लगता है कि स्पंज को लगातार साबुन से साफ करके उन्हें सुरक्षित बनाया जा सकता है तो आप ग़लत हैं। बल्कि वैज्ञानिकों ने पाया है कि साबुन और पानी स्पंज में ख़ास तरह के बैक्टीरिया की मौजूदगी को और सघन बना देता है। जब शोधकर्ताओं ने स्पंज को माइक्रोस्कोप के नीचे रखकर देखा तो पाया कि एक क्यूबिक सेंटीमीटर स्पंज में उतने बैक्टीरिया हो सकते हैं, जितने मल में। लेकिन ख़तरनाक बात ये है कि स्पंज को उबालने या उन्हें माइक्रोवेव में रखने से भी बैक्टीरिया ख़त्म नहीं होते। बल्कि पानी, साबुन या डिटर्जेंट से लगातार धोए जाने वाले स्पंज में ख़तरनाक किस्म का बैक्टीरिया अपनी मौजूदगी और मजबूत कर लेता है।
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ऐसा कैसे हो सकता है?
एक संभावित व्याख्या ये है कि ख़तरनाक बैक्टीरिया काफी प्रतिरोधी भी होते हैं और डिटर्जेंट से साफ़ हो जाने वाले दूसरी तरह के बैक्टीरिया की छोड़ी हुई जगह लेकर तेज़ी से लेकर फैल जाते हैं।
ब्लीच सॉल्यूशन
कुछ जानकार स्पंज को ब्लीच सॉल्यूशन से धोने का सुझाव देते हैं। न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलजी विभाग में प्रोफेसर फिलिप टिएर्नो चेताते हैं कि अगर हम स्पंज को सही तरह से साफ नहीं कर रहे तो इसका मतलब है कि हम अपने बर्तनों को बैक्टीरिया की परतों से रगड़ रहे हैं।
टिएर्नो के मुताबिक, नौ हिस्सा पानी और एक हिस्सा ब्लीच मिलाकर बनाए तरल से स्पंज को साफ करना बेहतर है। हमेशा दस्ताने पहनकर स्पंज पर वह तरल थोड़ा सा गिराएं और उसे 10 से 30 सेकेंड तक ऐसे ही छोड़ दें। इसके बाद स्पंज को निचोड़ें और सूखने के लिए रख दें।
हर बार इस्तेमाल के बाद अगर स्पंज को धोना मुश्किल पड़ता हो तो जर्मनी के वैज्ञानिक दूसरा तरीका बताते हैं। वह कहते हैं, 'हर हफ्ते स्पंज बदल लेना चाहिए। मत भूलिए जैसा टिएर्नो ने बताया कि स्पंज बदबूदार है मतलब वह बैक्टीरिया से भरा हुआ है। 'जर्मन वैज्ञानिकों का शोध ऑनलाइन वैज्ञानिक जर्नल 'साइंटिफिक रिपोर्ट्स' में छपा है।
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