शरीर को नुकसान पहुंचाता है आर्सेनिक
चावल में पाये जाने वाले इस खतरनाक रसायन का नाम आर्सेनिक है। वैसे तो ये हर खाने पीने की चीज में पाया जाता है पर चावल के साथ ये आप के शरीर को सवार्धिक नुकसान पहुंचाता है। हम आप को चावल से आर्सेनिक कैसे हटाना है इसकी सरल विधि बताने जा रहे हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि चावल को बार-बार ताजे गर्म पानी से धोते हुए पकाया जाए तो उसमें उपस्थित आर्सेनिक को दूर किया जा सकता है। आर्सेनिक की उच्च मात्रा का सम्बन्ध विभिन्न प्रकार के कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से देखा गया है। करोड़ों लोग रोज चावल खाते हैं। अन्य अनाज की बजाय चावल के साथ ज्यादा मात्रा में आर्सेनिक शरीर में पहुंचता है।
इसलिये चावल में ज्यादा होता है आर्सेनिक
चावल पानी भरे खेतों में उगाया जाता है। जिससे वह काफी मात्रा में आर्सेनिक सोख लेता है। यूके स्थित क्वींस विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एंड्र्यू मेहार्ग का ख्याल था कि यदि चावल को थोड़ा अलग ढंग से पकाया जाए तो शायद स्वास्थ्य पर पडऩे वाले असर को कम किया जा सकता है। सामान्य रूप से चावल को पानी में डालकर तब तक उबालते हैं जब तक कि वह पानी को पूरी तरह सोख न ले। इस तरह से पकाने पर चावल तथा पानी में उपस्थित आर्सेनिक चावल से जुड़ जाता है। मेहार्ग और उनके साथियों को अपने पहले किए कामों के आधार पर यह पता था कि चावल को पानी से खूब धोकर और अधिक पानी की उपस्थिति में पकाकर अतिरिक्त पानी फेंक दिया जाए तो आर्सेनिक का स्तर कम होता है।
ऐसे पकायें चावल तो कम होगी आर्सेनिक की मात्रा
यह विधि तब भी काम करती है जब पानी में भी आर्सेनिक उपस्थित हो। इसी विधि में पानी की मात्रा बढ़ाने पर आर्सेनिक ज्यादा अच्छी तरह से निकलता है। 12 गुना पानी डालने पर 57 प्रतिशत से ज्यादा आर्सेनिक कम हो जाता है। इससे साबित होता है कि तरल पानी में आर्सेनिक गतिशील रहता है। उसे हटाया जा सकता है। टीम ने चावल को अपने द्वारा बनाए गए एक उपकरण में और एक कॉफी पर्कोलेटर में पकाया। उनके उपकरण की विशेषता यह थी कि उसमें पानी भाप बनकर उड़ता है और फिर तरल होकर चावल पर गिरता है। इस तरह से चावल को लगातार आसुत पानी मिलता रहता है।
इन लोगों को है आर्सेनिक से सबसे ज्यादा खतरा
आर्सेनिक का सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों को है जिनका मुख्य भोजन चावल है। बांग्लादेश में यह खतरा ज्यादा है। जहां चावल मुख्य भोजन है और पानी में भी काफी आर्सेनिक होता है। प्रक्रिया में फेरबदल करके विशेष कुकर का इस्तेमाल करके आर्सेनिक की मात्रा को कम किया जा सकता है। इसी तकनीक का इस्तेमाल शिशु आहार बनाने वाली कंपनियां भी कर सकती हैं। इनमें भी पका हुआ चावल इस्तेमाल किया जाता है। चावल आधारित शिशु आहार में ज्यादा आर्सेनिक अधिक नुकसानदायक है। क्योंकि यह बच्चों को दिया जाता है।
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