प्रतिरक्षा के तौर पर ये जानवर लगातार ऐसे विशेष एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करते हैं जिनके जरिए एचआईवी को खत्म किया जा सकता है।
ऐसा माना जा रहा है कि कॉप्लेक्स और बैक्टीरिया युक्त पाचन तंत्र की वजह से गायों में प्रतिरक्षा की क्षमता ज़्यादा विकसित हो जाती है।
अमरीका के नेशनल इंस्टीच्यूट्स ऑफ़ हेल्थ ने इस नई जानकारी को बेहतरीन बताया है।
एचआईवी एक घातक प्रतिद्वंद्वी है और इतनी जल्दी अपनी स्थिति बदलता है कि वायरस को मरीज़ के प्रतिरक्षा सिस्टम में हमला करने का रास्ता मिल जाता है। एचआईवी अपनी मौजूदगी को बदलता रहता है।
एक वैक्सीन मरीज़ के रोग प्रतिरोधक सिस्टम को विकसित कर सकती है और लोगों को संक्रमण के पहले स्टेज पर बचा सकती है।
गाय का योगदान
इंटरनेशनल एड्स वैक्सीन इनिशिएटिव और द स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीच्यूट ने गायों की प्रतिरक्षा क्षमता को लेकर टेस्ट शुरू किया।
एक शोधकर्ता डॉक्टर डेविन सोक ने बीबीसी न्यूज़ को बताया, "इसके परिणाम ने हमें हैरान कर दिया।"
ज़रूरी एंटीबॉडीज़ गायों के प्रतिरक्षा तंत्र में कई सप्ताह में बनते हैं।
डॉक्टर सोक ने कहा, "यह बेहद उन्मुक्त कर देने वाला मौका था। इंसानों में ऐसे एंटीबॉडी विकसित होने में क़रीब तीन से पांच साल लग जाते हैं।"
उन्होंने कहा, "यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके पहले यह इतना आसान नहीं लग रहा था। किसे पता था कि एचआईवी के इलाज में गाय का योगदान होगा।"
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चुनौती
'नेचर' नाम के जर्नल में प्रकाशित नतीजों में बताया गया है कि गाय की एंटीबॉडीज से एचआईवी के असर को 42 दिनों में 20 फ़ीसदी तक खत्म किया जा सकता है।
प्रयोगशाला परीक्षण में पता चला कि 381 दिनों में ये एंटीबॉडीज़ 96 फीसदी तक एचआईवी को बेअसर कर सकते हैं।
एक और शोधकर्ता डॉक्टर डेनिस बर्टन ने कहा कि इस अध्ययन में मिली जानकारियां बेहतरीन हैं। उन्होंने कहा, "इंसानों की तुलना में जानवरों के एंटीबॉडीज ज्यादा यूनीक होते हैं और एचआईवी को खत्म करने की क्षमता रखते हैं।"
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