वाशिंगटन (एएफपी)। ईरान में अमेरिकी प्रतिबंध आज यानी कि 5 नवंबर से प्रभावी हो गया है। इससे वहां तेल जगत और फाइनेंसियल क्षेत्रों में भारी असर पड़ने वाला है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा कि ईरान के खिलाफ यह अब तक का सबसे कड़ा प्रतिबंध है। इस प्रतिबंध से ईरान के साथ व्यापार करने वाले तीसरे देशों की कंपनियों को भारी नुकसान होगा। ये प्रतिबंध विश्व तेल बाजारों को भी ज्यादा प्रभावित कर सकते हैं, हालांकि अमेरिका ने ईरानी तेल आयात जारी रखने के लिए आठ अधिकार क्षेत्रों में अस्थायी छूट प्रदान की है।
ईरानी नेता ने की प्रतिबंध की निंदा
ईरान के सर्वोच्च नेता अयतोला अली खमेनी ने शनिवार को इस प्रतिबंध की निंदा की और कहा कि ट्रंप ने अमेरिकी प्रतिष्ठा को अपमानित किया है। उन्होंने कहा कि दोनों देश के बीच लंबे समय से चलने वाले इस झगड़े में उनकी हार होगी। पोंपियो ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि ईरान में प्रतिबंध आज रात से लागू हो जायेगा, अगर वो चाहता है कि यह प्रतिबंध लंबे समय तक ना चले तो इसके लिए ईरान को अपने काम करने के तरीकों को बदलना होगा। ऊर्जा पहलुओं के विश्लेषक रिककार्डो फैबियानी ने कहा, 'सभी लोगों की नजरें ईरानी निर्यात पर होंगी, कुछ देश चीटिंग करने की भी सोचेंगे।'
भारत और चीन अभी भी खरीद रहे तेल
बता दें कि ईरानी तेल निर्यात में अभी से ही एक लाख बैरल की गिरावट आ गई है, हालांकि भारत और चीन ने इसे खरीदना जारी रखा है। अधिकांश यूरोपीय, साथ ही जापान और दक्षिण कोरिया ने ईरान से तेल खरीदना बंद कर दिया है। यह पूछे जाने पर कि क्या अमेरिका ने भारत और चीन को भी ईरान से छह महीने के भीतर तेल खरीद को रोकने की बात कही है, इसपर पोंपियो ने जवाब दिया, 'हम क्या करते हैं ये देखने वाली बात होगी। हमने इतिहास में बाजार से अधिक कच्चे तेल को पहले ही खरीद लिया है।' सऊदी अरब एकमात्र ऐसा देश है, जहां से नुकसान होने वाले ईरानी तेल उत्पादन की क्षमता को बराबर किया जा सकता है।
ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर
बता दें कि ईराक और सऊदी अरब के बाद ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल सप्लायर है। इस प्रतिबंध का असर भारत पर भी पड़ सकता है। गौरतलब है कि मई में परमाणु समझौते से अमेरिका के बाहर आने के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। अमेरिका ईरान पर नई शर्तो के साथ परमाणु समझौता करने का दवाब डाल रहा था, इसके लिए ट्रंप ने कुछ दिनों पहले ईरानी नेताओं के साथ सीधी बातचीत के लिए पेशकश भी रखी थी लेकिन ईरान इसके लिए तैयार नहीं हुआ। इसके बाद अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कर लिया।
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