अमरीकी प्रशासन ने भारतीय राजनयिक से जुड़े मुद्दे पर एक महीने की तनातनी के बाद यह क़दम उठाया है.
हालांकि न्यूयॉर्क स्थित भारतीय वाणिज्यिक दूत ज्ञानेश्वर मूले इन दोनों घटनाओं के बीच किसी आपसी संबंध से इनकार किया है.
कला बाज़ार की दुनिया में इन तीनों मूर्तियों की क़ीमत क़रीब 15 लाख अमरीकी डॉलर आंकी गई है.
उन्होंने अमरीकी प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू से कहा, "हम अमरीकी अधिकारियों के आभारी हैं जिन्होंने वक़्त और संसाधनों का इस्तेमाल करके हमारी प्राचीन धरोहरों को हासिल किया और अब इसे हमारे देश भेज रहे हैं."
सांस्कृतिक विरासत
अमरीकी गृह मंत्रालय के सुरक्षा जांच विभाग के कार्यकारी सहायक निदेशक जेम्स डिंकिंस ने कहा, "दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग का यह बेहतरीन उदाहरण हैं. हमने इसे हासिल करने के बाद इस अमूल्य धरोहर को भारत को लौटा रहे हैं. किसी भी देश की सांस्कृतिक विरासत की चोरी को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता."
वापस लौटाईं गईं मूर्तियां 11वीं और 12वीं शताब्दी की बताई जा रही हैं और इसे भारतीय मंदिरों से चुराया गया था.
अमरीकी प्रशासन ने यह क़दम भारत के विदेश मंत्री सलमान ख़ुर्शीद के उस बयान के बाद उठाया है जिसमें उन्होंने भारत- अमरीका के बीच किसी तनाव से इनकार किया था.
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