विदेश विभाग की प्रवक्ता जेन साकी का कहना है कि अब उन्हें अमरीका में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है और वो सिर्फ़ कानून के सामने समर्पण करने के लिए ही यहां आ सकती हैं.
प्रवक्ता का कहना है कि खोबरागड़े का नाम अब अमरीकी वीज़ा और आप्रवासन विभाग की निगरानी सूची में भी शामिल कर दिया जाएगा.
उनके पति अमरीकी नागरिक हैं और उनके बच्चे भी अमरीका में ही पढ़ रहे हैं.
जेन साकी का कहना था, "उन्हें राजनयिक संरक्षण तभी तक प्राप्त था जब तक कि वो संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में काम कर रही थीं. अब उनका तबादला भारतीय विदेश मंत्रालय में हो चुका है और अब उन्हें कोई संरक्षण प्राप्त नहीं है."
सिर्फ़ 24 घंटों का संरक्षण
"उन्हें राजनयिक संरक्षण तभी तक प्राप्त था जब तक कि वो संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में काम कर रही थीं. अब उनका तबादला भारतीय विदेश मंत्रालय में हो चुका है और अब उन्हें कोई संरक्षण प्राप्त नहीं है."
-जेन साकी, विदेश विभाग की प्रवक्ता
देखा जाए तो देवयानी खोबरागड़े लगभग चौबीस घंटों के लिए ही राजनयिक संरक्षण में थीं.
इस बीच भारत ने भी एक अमरीकी राजनयिक को भारत छोड़ने का हुक्म दे दिया है.
भारत के उस फ़ैसले को अमरीकी विेदेश विभाग ने "खेदजनक" कहा है.
भारत का फ़ैसला खेदजनक
प्रवक्ता का कहना था, "हमें इस बात पर गहरा खेद है कि भारत ने हमारे राजनयिक को देश छोड़ने का आदेश देना ज़रूरी समझा. ज़ाहिर है दोनों देशों के रिश्तों के लिए ये चुनौतीपूर्ण समय है और हम ये उम्मीद जताते हैं कि भारत रिश्तों को बेहतर करने के लिए मज़बूत कदम उठाएगा."
देवयानी खोबरागड़े पर न्यूयॉर्क की संघीय अदालत में वीज़ा नियमों में धोखाधड़ी और ग़लतबयानी का आरोप दर्ज हुआ है. आरोप में कहा गया है कि वो धोखाधड़ी और ग़लतबयानी के जरिए भारतीय घरेलू सहायक को अमरीका लेकर आईं और उसे उचित से काफ़ी कम मेहनताना दिया.
इस बीच, देवयानी खोबरागड़े ने कहा है कि वो बेगुनाह हैं.
पूर्ण राजनयिक संरक्षण दिए जाने के कुछ ही घंटों बाद उन्होंने अमरीका छोड़ दिया.
अमरीकी विदेश विभाग का कहना है कि संघीय अदालत उनके ख़िलाफ़ अब वारंट जारी कर सकती है.
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