डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति ओबामा ने इसी मुद्दे पर 23 ऐसे फैसले लिए हैं जिसके लिए अमरीकी संसद की सहमति की जरुरत नहीं है.

पिछले महीने कनेक्टीकट राज्य में एक बंदूकधारी ने न्यूटाउन के सैंडी हुक एलिमेन्टरी स्कूल में 26 लोगों को गोलियों से भून डाला था.

इस हमले में मारे जाने वालो में 20 बच्चे और छह लोग शामिल थे.

इसके बाद से वहाँ बंदूकों की आसानी से उपलब्धता पर सवाल उठने लगे थे.

प्रस्ताव

इस हमले के बाद बराक ओबामा को कई बच्चों ने चिट्ठी भी लिखी थी. बुधवार को व्हाइट हाउस में इन प्रस्तावों को पेश करते समय ये बच्चे भी वहां मौजूद थे.

"इस हिंसा को कम करने के लिए हम ये एक काम तो कर ही सकते हैं, अगर एक जिंदगी बचाई जा सकती है तो हमारा दायित्व है हम इसके लिए कोशिश करें"

बराक ओबामा

इस घटना के एक महीने बाद बराक ओबामा ने कहा कि बंदूक के इस्तेमाल पर लगाम लगाने के लिए तुरंत काम करना होगा. उनका कहना था, ''इस हिंसा को कम करने के लिए हम ये एक काम तो कर ही सकते हैं, अगर एक जिंदगी बचाई जा सकती है तो हमारा दायित्व है हम इसके लिए कोशिश करें.''

लेकिन अमरीका में बंदूक रखने की वकालत करने वाले समूह नेशनल राइफ़ल एसोसिएशन का कहना है, '' हमारा देश जिस तरह के संकंट को झेल रहा है उसे देखते हुए ये प्रस्ताव कोई समाधान नहीं पेश करता.''

इस समूह ने वक्तव्य जारी करके कहा,'' इन प्रस्तावों से बंदूक रखने वाले केवल ईमानदार और क़ानून का पालन करने वाले लोगों पर ही प्रभाव पड़ेगा और हमारे बच्चे ऐसी त्रासदियों में असुरक्षित ही रहेंगे.''

ओबामा ने संसद से अपील की वो सेना के इस्तेमाल में आने वाले घातक हथियारों, जिनका पिछली शूटिंग में इस्तेमाल किया गया था उनकी खरीदारी पर दोबारा प्रतिबंध लगाए जाए.

मुश्किल

गोलियों की संख्या कम करने और सुरक्षा कवच को भेद कर जानी वाली गोलियों को रखने और उनकी ब्रिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाए.

जो भी व्यक्ति हथियारों की तस्करी करता है उस पर सख्त जुर्माना लगाया जाए विशेषतौर पर उन गैर लाइसेंसधारी डीलरों के खिलाफ जो अपराधियों के लिए ये खरीदते हैं.

लेकिन इन प्रस्तावों को पेश करते हुए उन्होंने ये भी माना कि इन पर संसद में सहमति पाने के लिए काफी विरोध का सामना भी करना पड़ेगा.

उनका कहना था, ''ये काफी मुश्किल होगा.''

अगर आकड़ो को देखा जाए तो अमरीका में बंदूक रखने वालों की दर दुनिया में सबसे ज्यादा है.

अमरीकी संविधान में किए गए दूसरे संशोधन के मुताबिक लोगों के बंदूक रखने के अधिकार है और उसका उल्लंघन नहीं होना चाहिए.

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