सोनिया के ख़िलाफ़ समन को उनतक पहुंचाने का आदेश

अमरीका में न्यूयॉर्क की एक अदालत ने भारत की कांग्रेस पार्टी और सत्ताधारी गठबंधन यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ जारी किए गए समन के बारे में एक नए आदेश के ज़रिए सोनिया गांधी की सुरक्षा के लिए तैनात सुरक्षाकर्मियों और अस्पताल को भी उन तक समन पहुंचाने का हुक्म दिया है.

अदालत का ताज़ा फ़ैसला तीन सितंबर के उस फ़ैसले के बाद आया है जिसमें न्यूयॉर्क की केंद्रीय अदालत के जज ब्राएन कोगन ने सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ 1984 में भारत में होने वाले सिख-विरोधी दंगों के सिलसिले में समन जारी किए थे.

वह समन 'सिख्स फ़ॉर जस्टिस’ नामक एक सिख संस्था और 1984 के दंगों के दो पीड़ितों मोहिंदर सिंह और जसबीर सिंह द्वारा अदालत में सोनिया गांधी के ख़िलाफ़ मुक़दमा दायर किए जाने के बाद जारी किए गए थे.

मुक़दमें में आरोप लगाया गया है कि सोनिया गांधी अपनी कांग्रेस पार्टी के उन कार्यकर्ताओं और नेताओं को बचा रही हैं जो 1984 के दंगों में कथित तौर पर शामिल थे.

"कोर्ट के इस नए फ़ैसले से उंचे पदों पर बैठे उन लोगों को संदेश मिलता है कि वह अपने उंचे पदों का फ़ायदा उठाकर अमरीकी अदालती सम्मन की अंदेखी नहीं कर सकते. और यही बात भारत और अमरीकी न्याय प्रणाली में फ़र्क को उजागर करती है."

-'सिख्स फ़ॉर जस्टिस’ के वकील गुरपतवंत पान्नुन

माना जा रहा है कि सोनिया गांधी इन दिनों न्यूयॉर्क के स्लोन केटरिंग कैंसर असपताल में इलाज करवा रही हैं.

अमरीकी क़ानून के तहत सोनिया गांधी को यह अदालती समन व्यक्तिगत रूप से पहुंचाने की ज़िम्मेदारी मुक़दमा दायर करने वालों की होती है.

कड़ी सुरक्षा

लेकिन 'सिख्स फ़ॉर जस्टिस' का कहना है कि अभी तक सोनिया गांधी को उनकी कड़ी सुरक्षा के चलते समन नहीं पहुंचाए जा सके.

इसीलिए मुक़दमा दायर करने वाले 'सिख्स फ़ॉर जस्टिस’ संस्था और दो पीड़ितों ने अदालत से शिकायत की थी कि सोनिया गांधी को वीआईपी सुरक्षा के कारण समन पहुंचाने वाले लोगों को मुश्किल पेश आ रही है.

सोनिया के ख़िलाफ़ समन को उनतक पहुंचाने का आदेश

इस शिकायत के बाद केंद्रीय अदालत के जज ब्राएन कोगन ने स्लोन केटरिंग कैंसर असपताल में सोनिया गांधी की सुरक्षा के लिए तैनात अमरीकी सीक्रेट सर्विस के एजेंटों, एफ़बीआई के स्पेशल एजेंटों, अमरीकी विदेश मंत्रालय के सुरक्षा एजेंटों, न्यूयॉर्क राज्य पुलिस के कर्मी और न्यूयॉर्क शहर के पुलिसकर्मियों को हिदायत दी है कि सोनिया गांधी के नाम पर जारी समन उन तक पहुंचाया जाएं.

इसके अलावा जज कोगन ने स्लोन केटरिंग कैंसर अस्पताल के कर्मचारियों को भी अदालती समन सोनिया गांधी तक पहुंचाने का हुक्म दिया है.

'सिख्स फ़ॉर जस्टिस’ के वकील गुरपतवंत पान्नुन ने अदालती फ़ैसले पर ख़ुशी जताते हुए कहा, "कोर्ट के इस नए फ़ैसले से उंचे पदों पर बैठे उन लोगों को संदेश मिलता है कि वह अपने उंचे पदों का फ़ायदा उठाकर अमरीकी अदालती समन की अंदेखी नहीं कर सकते. और यही बात भारत और अमरीकी न्याय प्रणाली में फ़र्क को उजागर करती है."

समन मिलने के बाद भी सोनिया गांधी को समय दिया जाएगा कि वह अदालत में उनके ख़िलाफ़ लगे आरोपों का जवाब दाख़िल कराएं. उसके बाद किसी प्रकार की कोई अदालती कार्रवाई शुरू हो सकेगी.

मुकदमें में सोनिया गांधी से 1984 के दंगों के पीड़ितों के लिए हर्जाने की भी मांग की गई है.

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