फ्रांस के विदेश मंत्री लॉराँ फैबियस ने फ्रांस में लाखों फोन कॉल की जासूसी करने के एक अखबार के दावे के बाद अमरीकी राजदूत को तलब किया है.
फ्रांस ने सहयोगी देशों के बीच इस तरह की गतिविधि को अस्वीकार्य करार दिया है.
अख़बार ले मोंड का कहना है कि पूर्व अमरीकी ख़ुफ़िया विश्लेषक एडवर्ड स्नोडेन ने जो जानकारी लीक की है उससे पता चलता है कि अमरीकी सुरक्षा एजेंसी एनएसए ने बिज़नस के अलावा अधिकारियों और आतंकवाद के संदिग्धों की निगरानी की. ये जासूसी कुछ निश्चित महत्वपूर्ण शब्दों के बाद शुरू की गई थी.
कब शुरू हुई जासूसी?
अखबार के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने दस दिसंबर 2012 से आठ जनवरी 2013 के तीस दिनों के दौरान फ्रांस में लगभग सात करोड़ फोन कॉल्स की जासूसी की. इसके अलावा अमरीकी एजेंसी ने लाखों संदेशों की भी जासूसी की.
अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि जिन फोन कॉल और संदेशों की जासूसी की गई उस डाटा को संग्रहित किया गया है या नहीं या फिर यह सिर्फ इसमें सिर्फ इस बात की जानकारी थी कि कौन किससे फोन पर बात कर रहा था.
अखबार ने इस बात की जानकारी नहीं दी कि यूएस-985 डी कोड नाम वाला यह ऑपरेशन अभी भी काम कर रहा है या नहीं.
विदेश मंत्री फेबियस ने घोषणा की कि अमरीकी राजदूत को अखबार के दावों पर तुरंत बातचीत करने के लिए तलब किया गया है.
इससे पहले फ्रांस के गृह मंत्री मैनुअल वैल्स ने आरोपों को चौंकाने वाला बताते हुए कहा था, ''यदि एक सहयोगी देश फ्रांस की जासूसी करता है, तो यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है.''
क्या हुआ था?
जुलाई में ले मोंड ने सूचना दी थी कि फ्रांस की सरकार अपने नागरिकों की बड़े स्तर पर जासूसी कर रही है और खुफिया एजेंसी को नागरिकों का निजी डाटा उपयोग करने की छूट दे रही है.
ताज़ा जानकारी सामने आने के बाद जर्मनी की मीडिया में यह दावा किया गया है कि अमरीकी एजेंटों ने मैक्सिको के पूर्व राष्ट्रपति फेलिप काल्डेरॉन का ईमेल खाता हैक कर लिया.
अमरीका की सुरक्षा एजेंसी के पूर्व कर्मचारी एडवर्ड स्नोडेन ने जून में अमरीका के खुफिया दस्तावेजों को सार्वजनिक कर दिया था. स्नोडेन द्वारा लीक किए गए दस्तावेजों ने अमरीका की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों द्वारा वैश्विक स्तर पर की जा रही जासूसी के दावों को बढ़ावा दिया था.
अमरीका की जासूसी में चीन और रूस जैसे प्रतिद्वंद्वियों के साथ ही यूरोपीय संघ और ब्राजील जैसे सहयोगी भी शामिल थे. इसके बाद एनएसए को लाखों अमरीकी नागरिकों के ईमेल और फोन जासूसी करने की बात स्वीकारने पर मजबूर होना पड़ा था.
स्नोडेन अभी रूस में है. जहाँ शरण की गुहार लगाने के बाद उन्हें एक साल के वीज़ा की अनुमति दी गई है. अमरीका आपराधिक आरोप में मुकदमे का सामना करने के लिए स्नोडेन का प्रत्यर्पण चाहता है.
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