जब भारतीय आम चुनाव को कुछ ही महीने रह गए हैं भारत में अमरीका की राजदूत नैंसी पावेल ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद उम्मीदवार नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है.
ये मुलाक़ात गांधी नगर में गुजरात के मुख्यमंत्री के निवास पर हुई.
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक़ इस मुलाक़ात के बाद अमरीका का नरेंद्र मोदी का क़रीब एक दशक पुराना बहिष्कार ख़त्म हो गया है.
अमरीका गुजरात के मुख्यमंत्री को अबतक वीज़ा देने से भी मना करता रहा है.
हालांकि अमरीकी विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि राजदूत की मुलाक़ात का वीज़ा नीति पर कोई असर नहीं होगा.
माना जा रहा है कि आने वाले आम चुनावों में नरेंद्र मोदी की जीत की संभावना को ध्यान में रखते हुए अमरीका ने बातचीत की पहल की है. इससे पहले ब्रितानी उप विदेश मंत्री और भारत में ब्रिटेन के राजदूत नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात कर चुके हैं.
अमरीका ने 2002 के गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि में नरेंद्र मोदी को वीज़ा देने से इनकार कर दिया था.
हालांकि अभी अमरीका केवल अपने प्रतिनिधि की मोदी से मुलाकात पर सहमत हुआ है.
बदलाव
अमरीका का कहना है यह मुलाकात भारत में राजनीति और कारोबार जगत के लोगों से संपर्क बढ़ाने की कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं है.
इससे पहले भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने गुजरात दंगों की तुलना यहूदियों के नरसंहार से करते हुए मोदी से अमरीकी राजदूत की मुलाकात पर सवाल उठाए थे.
अमरीका के अलावा मोदी को लेकर यूरोपीय संघ का रुख़ भी कड़ा रहा था. हालांकि उनके रुख़ में हाल में लचीलापन आया है और ब्रितानी और यूरोप के दूसरे राजनयिकों ने गुजरात के मुख्यमंत्री से मेलजोल बढ़ाया है.
आरोप
मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि मोदी ने गुजरात में साल 2002 के हुए दंगों में उदासीन रवैया अपनाया था.
मोदी ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहते रहे हैं कि जाँच में भी उनके ख़िलाफ़ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है.
शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद से भारत और अमरीका के रिश्ते लगातार मज़बूत हो रहे हैं और इसे अधिकांश अमरीकी सांसदों का समर्थन हासिल है.
लेकिन कुछ अमरीकी मानवधिकार संस्थाएं और सांसद नरेंद्र मोदी के साथ नज़दीकियों के ख़िलाफ़ हैं.
जानकारों का मानना है कि पॉवेल की मोदी के साथ मुलाक़ात से यह संदेश जाएगा कि अमरीका उन्हें वीज़ा जारी करने को तैयार है.
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