एचआर पोर्टल पर फीड की जाएगी
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LUCKNOW: उत्तर प्रदेश पुलिस ने डिजिटाइजेशन की ओर एक कदम और बढ़ा दिया है। ट्विटर, फेसबुक व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए आम पब्लिक की समस्याएं सुलझाने व एफआईआर व अपराधियों का डाटा सीसीटीएनएस के जरिए जोडऩे के साथ ही अब यूपी पुलिस का भीतरी ढांचा भी डिजिटाइज यानि पेपरलेस होगा। इसके लिये शासन ने छह करोड़ रुपये की रकम मंजूर कर दी है। इस रकम से पुलिस विभाग के दस्तावेजों को डिजिटाइज करने के साथ-साथ प्रदेश पुलिस के सभी अधिकारी व कर्मियों की डिटेल एनआईसी के एचआर पोर्टल पर फीड की जाएगी।
खत्म होगा कागजों का अंबार
वर्तमान में पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद में पुलिस की स्थापना से लेकर अब तक के करोड़ों दस्तावेज सुरक्षित रखे गए हैं। लेकिन, अब इन दस्तावेजों को सुरक्षित रख पाना पुलिस के लिये टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इतना ही नहीं, अब कागजों को रखने के लिये जगह की कमी भी सामने आ रही है। वहीं, अगर किसी पुराने कागज या आदेश को तलाश करना हो तो यह भी बेहद मुश्किल भरा साबित होता है। इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए यूपी पुलिस ने शासन को प्रस्ताव भेजकर रिकॉड्र्स को डिजिटाइज कराने की गुजारिश की थी। जिस पर शासन ने मंजूरी देते हुए पहले चरण में 25 लाख रिकॉड्र्स को डिजिटाइज कराने के लिये रकम जारी कर दी है। शासन के इस निर्णय से न सिर्फ पुलिस मुख्यालय में लगे कागजों के अंबार से भी मुक्ति मिल सकेगी बल्कि, कोई भी रिकॉर्ड तलाशने का काम चुटकियों में संभव होगा। पहले चरण के इस काम में 1.90 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
एनआईसी पोर्टल में अपलोड होगी डिटेल
रिकॉड्र्स को डिजिटाइज करने के साथ ही प्रदेश पुलिस के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों की डिटेल एनआईसी के ह्यूमन रिसोर्स पोर्टल पर अपलोड की जाएंगी। इससे न सिर्फ किसी भी अधिकारी या कर्मचारी की डिटेल महज एक क्लिक पर उपलब्ध होगी बल्कि, उसकी छुट्टियों की जानकारी से लेकर ज्वाइनिंग, प्रमोशन, इंक्रीमेंट समेत सारा डाटा ऑनलाइन अवलेबल होगा। इस डिटेल को ह्यूमन रिसोर्स पोर्टल पर अपलोड करने में 4 करोड़ 10 लाख रुपये खर्च किये जाएंगे।
बनेगा अपराधियों का बायोमेट्रिक्स डाटा बैंक
यूपी पुलिस अब अपराधियों के बायोमेट्रिक्स का डाटा बैंक भी तैयार करेगी। इसके तहत पकड़े जाने वाले सभी शातिर अपराधियों का फिंगर प्रिंट्स व रेटिना का इंप्रेशन सेव किया जाएगा। साथ ही यह डिटेल सीसीटीएनएस के जरिए ऑनलाइन कर दी जाएगी। इसका फायदा यह होगा कि जैसे ही अपराधी पकड़ा जाएगा और उसका बायोमेट्रिक्स लेकर उसका मिलान कराया जाएगा तो उसके द्वारा अब तक किये गए सभी अपराधों का ब्योरा पलक झपकते ही सामने होगा। इसके साथ ही अपराधी अब अपनी पहचान भी नहीं छिपा सकेगा। यूपी पुलिस की टेक्निकल सर्विसेज इस डाटा बैंक को लेकर काम कर रही है और जल्द ही इसे लागू करने की योजना है।
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