लखनऊ (पीटीआई)। राज्य के बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पत्रकारों से कहा कि उनके सरकारों के कल्याणकारी कामकाज तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता की वजह से उन्हें यह जीत मिली है। एक हिंदी ट्वीट में उन्होंने कहा कि बीजेपी तथा उसके सहयोगी दलों ने 75 में से 67 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर अपनी जीत दर्ज की है। इस जीत का श्रेय उन्होंने राज्य की जनता तथा पार्टी के कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत को दिया है।
पंचायत से लेकर पार्लियामेंट तक!
भाजपा+ ने उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में 75 में से 67 सीटों पर विजय प्राप्त की है। इस अभूतपूर्व परिणाम के लिए मैं प्रदेश की जनता एवं भाजपा के परिश्रमी कार्यकर्ताओं का हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूं।#हर_पंचायत_भाजपा pic.twitter.com/qZJKqMAAVK— Swatantra Dev Singh (@swatantrabjp) July 3, 2021
शाम 3 बजे तक चला मतदान
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए शनिवार की सुबह 11 बजे से मतदान शुरू हुआ तथा शाम 3 बजे तक चला। इस बीच सोशल मीडिया पर चंदौली के पूर्व समाजवादी पार्टी से सांसद रामकिशुन यादव का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे जिला पंचायत सदस्यों के पैरों में गिरकर उनसे अपने भतीजे के लिए कथित रूप से वोट मांग रहे थे। इस प्रकरण को लेकर उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी उनकी पार्टी को लेकर ताना मारते रहे।
पिछले चुनाव में "सर पर पैर" रख देने वाले इस चुनाव में "पैरों पर सर" रखकर गिड़गिड़ा रहे हैं।
चन्दौली में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के ठीक पहले शुक्रवार की रात चन्दौली के @samajwadiparty से पूर्व सांसद रामकिशुन यादव जिला पंचायत सदस्यों के आगे पैरों में गिरते दिख रहे हैं pic.twitter.com/GGyvwv772S— Rakesh Tripathi (@rakeshbjpup) July 3, 2021
22 पदों पर निर्विरोध चुनाव
त्रिपाठी ने कहा कि वो (सपा) जो पिछले चुनावों में लोगों के सिर पर पैर रखते थे वे आज वोट पाने के लिए वोटरों के पैरों में गिर रहे हैं। यह शुक्रवार की रात की घटना है। सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने कहा कि यादव स्वतंत्र वोटरों के सिर्फ पैर छू रहे हैं। उन्होंने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि तेज नारायण यादव रामकिशुन यादव के भतीजे हैं। तेज नारायण जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए सपा समर्थित उम्मीदवार हैं। मंगलवार को 22 पदों पर चुनाव निर्विरोध घोषित कर दिया गया था। इनमें बीजेपी ने 21 पर जीत का दावा किया है।
इन सीटों पर निर्विरोध निर्वाचन
राज्य चुनाव आयोग जीतने वाले उम्मीदवारों की पार्टी को लेकर घोषणा नहीं करती है। पंचायत या जिला पंचायत प्रमुखों का चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं लड़ा जाता लेकिन उम्मीदवार विभिन्न पार्टियों के अघोषित समर्थन जाहिर करते हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष की निर्विरोध निर्वाचित सीटों में सहारनपुर, बहराइच, इटावा, चित्रकूट, आगरा, गौतम बुद्ध नगर, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर, अमरोहा, मुरादाबाद, ललितपुर, झांसी, बांदा, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, गोरखपुर, मऊ, वाराणसी, पीलीभीत तथा शाहजहांपुर शामिल हैं।
बसपा ने नहीं लड़ा यह चुनाव
जिला पंचायत अध्यक्षों का चुनाव जिला पंचायतों के चुने हुए सदस्य करते हैं। पिछले महीने चार चरणों में पंचायत चुनाव उत्तर प्रदेश में संपन्न कराए गए थे। सोमवार को बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की थी ताकि अगले वर्ष विधानसभा चुनाव के लिए वे अपने पार्टी की ऊर्जा बचा कर रखें। उनकी नजर विधानसभा चुनाव को लेकर अपने संगठन को मजबूती पर पूरी तरह से फोकस करने की है।
बिना सत्ता के यह पद बेकार
बसपा अध्यक्ष ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश की जनता अगली सरकार उनकी पार्टी की चाहती है। राज्य में एक बार बसपा सरकार बनाएगी तो जिला पंचायत के ज्यादातर अध्यक्ष उनकी पार्टी में खुद-ब-खुद शामिल हो जाएंगे। बिना सत्ता की पावर के वे किसी काम के नहीं हैं। मायावती ने कहा कि इस बात को अपने दिमाग में रखकर हमने यह फैसला किया है कि इस चुनाव में बसपा हिस्सा नहीं लेगी।
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