लखनऊ (पीटीआई)। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक कांशीराम की 15वीं पुण्यतिथि पर कांशीराम स्मारक स्थल पर संबोधित करते हुए पार्टी की प्रमुख मायावती ने मांग की कि दिवंगत दलित नेता को भारत रत्न दिया जाए और कहा कि उत्तर प्रदेश के लोगों ने राज्य में सत्ता बदलने का मन बना लिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, "जल्द ही वह चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मीडिया संगठनों और अन्य एजेंसियों के सर्वेक्षण पर किसी भी चुनाव से छह महीने पहले प्रतिबंध लगाने की मांग करेंगी, ताकि इससे उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव प्रभावित न हों।" बसपा प्रमुख ने जनता से कहा कि "आप जानते हैं कि जब बंगाल में विधानसभा चुनाव चल रहे थे, सर्वेक्षण दिखा रहे थे कि ममता बनर्जी पीछे चल रही हैं, लेकिन जब परिणाम आए, तो यह विपरीत था। जो सत्ता पाने का सपना देख रहे थे, उनके सपने चकनाचूर हो गए और ममता ने भारी बहुमत से वापसी की। इसलिए, आपको इन सर्वेक्षणों से गुमराह नहीं होना चाहिए," ।

यूपी सरकार अब अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए राज्य मशीनरी का इस्तेमाल कर रही

मायावती की टिप्पणी एक न्यूज चैनल द्वारा एक सर्वे दिखाए जाने के बाद आई है, जिसमें दिखाया गया है कि भाजपा आगामी 2022 के विधानसभा चुनावों में यूपी में सबसे अधिक सीटें जीतने और सत्ता बरकरार रखने के लिए तैयार है। सके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए राज्य मशीनरी का इस्तेमाल कर रही हैं। "यह भी सभी जानते हैं कि जब ये हथकंडे काम नहीं करेंगे, तो वह पार्टी (भाजपा) अंततः चुनाव को हिंदू-मुस्लिम रंग देगी और इसकी आड़ में पूरा राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश करेगी। इसी को ध्यान में रखकर चुनाव लड़ा जाना चाहिए।"

मायावती बोली छोटी पार्टियां और संगठन हैं, जो अकेले या संयुक्त रूप से चुनाव लड़ सकते

मायावती ने किसी पार्टी का नाम लिए बगैर यह भी कहा, ''छोटी पार्टियां और संगठन हैं, जो अकेले या संयुक्त रूप से चुनाव लड़ सकते हैं। उनका काम चुनाव जीतना नहीं है, बल्कि सत्ता पक्ष को परदे के पीछे से फायदा पहुंचाना है, अपने निहित स्वार्थ को महसूस करना है। इसलिए, इन जातियों और समुदायों के लोगों को इन पार्टियों और संगठनों के प्रभाव में नहीं आना चाहिए।" सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने पिछले महीने दावा किया था कि भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद जल्द ही भागीदारी संकल्प मोर्चा का हिस्सा होंगे और इस संबंध में औपचारिक घोषणा 27 अक्टूबर को एक रैली होगी।

छोटे दलों के राजनीतिक मोर्चे के रूप में भागीदारी संकल्प मोर्चा की शुरुआत हुई थी

भागीदारी संकल्प मोर्चा भाजपा के पूर्व सहयोगी राजभर के नेतृत्व वाले समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों का मोर्चा है। वहीं एआईएमआईएम ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह राजभर के नेतृत्व वाले एसबीएसपी और उसके भागीदारी संकल्प मोर्चा के साथ गठजोड़ करके अगले साल राज्य विधानसभा चुनाव में 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। योगी आदित्यनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राजभर ने 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्होंने छोटे दलों के राजनीतिक मोर्चे के रूप में भागीदारी संकल्प मोर्चा की शुरुआत की थी।

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