भारत में सबसे पहला गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को मनाया गया था। पहली परेड राजपथ में नहीं बल्कि इर्विन स्टेडियम में हुई थी। इसके बाद करीब चार साल तक दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम में ही आयोजित की जाती रही। इसके बाद किंग्सवे कैंप, लाल किला और फिर रामलीला मैदान में भी आयोजित होती थी।
1955 में पहली बार राजपथ पर परेड का आयोजन हुआ और फिर यह सिलसिला आज तक जारी है। फिलहाल यह परेड आठ किमी की होती है और इसकी शुरुआत रायसीना हिल से होती है। उसके बाद राजपथ, इंडिया गेट से होते हुए ये लाल किला पर समाप्त होती है।
आजादी के दौर से ही 26 जनवरी का खासा महत्व रहा है। संविधान सभा ने संविधान निर्माण के समय कुल 114 दिन बैठक की। इसकी बैठकों में प्रेस और जनता को भाग लेने की स्वतन्त्रता थी। अनेक सुधारों और बदलावों के बाद सभा के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी 1950 को संविधान की दो हस्तलिखित कॉपियों पर हस्ताक्षर किये। इसके दो दिन बाद संविधान 26 जनवरी को यह देश भर में लागू हो गया। 26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए इसी दिन संविधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा स्वीकृत संविधान में भारत के गणतंत्र स्वरूप को मान्यता प्रदान की गई।
देश के पहले गणतंत्र दिवस पर तत्कालीन गवर्नमेंट हाउस (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) जगमग रोशनी से गुलजार था जहां भारत के गणतंत्र के रूप में दुनिया के पटल पर उभरने के साक्षी रहे लोगों में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो शामिल थे।
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