नई दिल्ली (पीटीआई)। सीबीआई ने भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा एक नाबालिग लड़की के दुष्कर्म के मामले को संभालने में चूक का हवाला देते हुए एक आईएएस अधिकारी सहित चार अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की सिफारिश की है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने अगस्त में यूपी सरकार को लिखे अपने पत्र में तत्कालीन डीएम उन्नाव एवं आईएएस अधिकारी अदिति सिंह, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक और 2017 से 2018 के बीच उन्नाव में तैनात आईपीएस अधिकारियों - पुष्पांजलि देवी और नेहा पांडे के अलावा एएसपी अष्टभुजा सिंह का नाम लिया था जिन्हें 2019 में आईपीएस प्रोन्नत किया गया था।
आईएएस अधिकारी अदिति सिंह वर्तमान में हापुड़ की डीएम
अपने पत्र में, एजेंसी ने विधायक द्वारा माखी गांव, बांगरमऊ, उन्नाव में सेंगर के आवास पर नाबालिग के दुष्कर्म के मामले और बाद में सेंगर के समर्थकों द्वारा परिवार के उत्पीड़न मामले से निपटने में खामियों को रेखांकित किया। सीबीआई ने किसी तरह की अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग नहीं की बल्कि इन अधिकारियों के नेतृत्व में हुई खामियों को उजागर कर एजेंसी के अवलोकन के मद्देनजर उचित कार्रवाई करने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार पर छोड़ दी है। 2009 बैच की आईएएस अधिकारी अदिति सिंह वर्तमान में हापुड़ की डीएम हैं।
कई पत्र लिखे थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई
अदिति सिंह 24 जनवरी, 2017 और 25 अक्टूबर, 2017 के बीच डीएम, उन्नाव के रूप में तैनात थी और पीड़ित ने सत्ताधारी पार्टी के विधायक के हाथों उसे आघात के बारे में कई पत्र लिखे थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी। नेहा पांडे, 2009 बैच की आईपीएस अधिकारी, वर्तमान में इंटेलिजेंस ब्यूरो में सहायक निदेशक के रूप में तैनात हैं। वह फरवरी, 2016 और अक्टूबर, 2017 के बीच उन्नाव में पुलिस अधीक्षक थीं और उन्होंने जून, 2017 में कथित रूप से नाबालिग लड़की की दुष्कर्म की याचिका को नजरअंदाज कर दिया गया था।
पुष्पांजलि देवी और अष्टभुजा सिंह ने किया नजरंदाज
पुष्पांजलि देवी, 2006 बैच की आईपीएस अधिकारी और वर्तमान में डीआईजी रेलवे हैं। उन्होंने पांडे की जगह ली थी और 30 अप्रैल, 2018 तक जिले की एसपी थीं। उन्होंने भी कथित तौर पर पीड़िता की प्रार्थना पर कोई ध्यान नहीं दिया था जिसके पिता को भी हथियार अधिनियम मामले में फंसाया गया था और अप्रैल, 2018 में जेल में पीट-पीटकर मार डाला गया था। तत्कालीन एएसपी अष्टभुजा सिंह, जो अब कमांडेंट पीएसी फतेहपुर के रूप में तैनात हैं। वह भी उस समय उन्नाव में तैनात थीं लेकिन सेंगर के खिलाफ उन्होंने भी कार्रवाई नहीं की थी।
कुलदीप सेंगर को आजीवन करावास की सजा सुनाई गई
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में, दिल्ली की एक अदालत ने 2017 में उन्नाव में नाबालिग से दुष्कर्म के लिए भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराया था। अदालत ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता और POCSO अधिनियम के तहत दुष्कर्म के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 53 वर्षीय सेंगर को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि सीबीआई ने साबित कर दिया कि पीड़िता नाबालिग थी। इसके बाद से पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर जेल में बंद है।
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