नई दिल्ली (एएनआई)। Budget 2024 Today:फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण आज संसद में केंद्रीय बजट 2024 पेश करने वाली हैं। यह उनका लगातार सातवां बजट होगा जो दिवंगत मोरारजी देसाई के लगातार छह बजट के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देगा। आज के बजट में आयकर ढांचे में बदलाव और भारत में व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है। सीतारमण ने सोमवार को सांख्यिकी परिशिष्ट के साथ आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 पेश किया। फाइनेंस स्टेट मिनिस्टर पंकज चौधरी और मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंथा नागेश्वरन पहले मंत्रालय पहुंचे। मीडिया से बात करते हुए फाइनेंस स्टेट मिनिस्टर पंकज चौधरी ने कहा कि तीसरी मोदी सरकार का पहला केंद्रीय बजट उनके "सबका साथ सबका विकास" के मंत्र पर आधारित होगा। सीतारमण राज्यसभा में वर्ष 2024-25 के लिए सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का विवरण (अंग्रेजी और हिंदी में) पेश करेंगी।
मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देंगी
इस आगामी बजट प्रस्तुति के साथ, फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई द्वारा स्थापित रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देंगी, जिन्होंने फाइनेंस मिनिस्टर के रूप में 1959 और 1964 के बीच पांच वार्षिक बजट और एक अंतरिम बजट पेश किया था। संसद का बजट सत्र 22 जुलाई को शुरू हुआ और तय कार्यक्रम के अनुसार 12 अगस्त को समाप्त होगा। सोमवार को फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि मध्यम अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था 7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है, "मध्यम अवधि में, भारतीय अर्थव्यवस्था निरंतर आधार पर 7 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ सकती है, यदि हम पिछले दशक में किए गए संरचनात्मक सुधारों पर काम करते हैं। इसके लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के बीच त्रिपक्षीय समझौते की आवश्यकता है।
"अमृत काल" छह महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर निर्भर
बतादें कि मध्यम अवधि के लिए विकास रणनीति, जिसे "अमृत काल" कहा जाता है, छह महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर निर्भर करती है। सबसे पहले, निजी निवेश को बढ़ावा देने पर जानबूझकर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। दूसरा, भारत के एमएसएमई (मिटेलस्टैंड) का विकास और विस्तार एक रणनीतिक प्राथमिकता होनी चाहिए। तीसरा, भविष्य के विकास के इंजन के रूप में कृषि की क्षमता को पहचाना जाना चाहिए, नीतिगत बाधाओं को दूर करना चाहिए। चौथा, भारत के हरित परिवर्तन के लिए वित्तपोषण सुनिश्चित करना आवश्यक है। पांचवां, शिक्षा-रोजगार के बीच की खाई को पाटना आवश्यक है। अंत में, भारत की प्रगति को बनाए रखने और उसे गति देने के लिए राज्य की क्षमता और योग्यता पर केंद्रित निर्माण की आवश्यकता है।
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