नई दिल्ली (पीटीआई)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को मध्यम वर्ग को कुछ राहत देने के लिए टैक्स स्लैब में बदलाव किया और घोषणा की कि नई टैक्स व्यवस्था के तहत सात लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा। साथ ही टैक्सदाताओं को 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन की भी अनुमति दी। सरकार ने रियायती टैक्स व्यवस्था को भी बदल दिया, जिसे मूल रूप से 2020-21 में पेश किया गया था। अब टैक्स छूट की सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ा 3 लाख रुपये कर दिया गया और स्लैब की संख्या को घटा कर पांच कर दिया गया।
7 लाख रुपये आय तक कोई टैक्स नहीं
2023-24 के बजट में, सीतारमण ने कहा कि वर्तमान में 5 लाख रुपये तक की कुल आय वाले व्यक्ति पुरानी और नई दोनों व्यवस्थाओं के तहत छूट के कारण कोई टैक्स नहीं चुकाते हैं। सीतारमण ने कहा, "नई व्यवस्था के तहत निवासी व्यक्ति के लिए छूट बढ़ाने का प्रस्ताव है ताकि वे टैक्स का भुगतान न करें यदि उनकी कुल आय 7 लाख रुपये तक है।" उन्होंने आगे कहा कि नई व्यक्तिगत आयकर व्यवस्था के तहत स्लैब की संख्या घटाकर पांच कर दी जाएगी। सीतारमण ने कहा, "मैं इस व्यवस्था में टैक्स ढांचे को बदलने का प्रस्ताव करती हूं, जिसमें स्लैब की संख्या घटाकर पांच और टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी जाती है।"
जानें किसे कितना देना होगा टैक्स
संशोधित रियायती टैक्स व्यवस्था के तहत, 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगाया जाएगा। 3-6 लाख रुपये के बीच की आय पर 5 प्रतिशत टैक्स लगेगा। वहीं 6-9 लाख रुपये पर 10 फीसदी, 9-12 लाख रुपये पर 15 फीसदी, 12-15 लाख रुपये पर 20 फीसदी और 15 लाख रुपये और इससे ज्यादा की आय पर 30 फीसदी टैक्स लगेगा। सीतारमण ने कहा, "मैं नई टैक्स व्यवस्था में मानक कटौती के लाभ का विस्तार करने का प्रस्ताव करती हूं।
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