कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट 1 फरवरी 2023 को पेश होगा। भारत में बजट पेश करने की परंपरा करीब 163 साल पुरानी है। तस्वीर में जिन शख्स को आप देख रहे हैं, वो हैं तो विदेशी मगर इन्हें पहला भारतीय बजट पेश करने का श्रेय जाता है। इनका नाम जेम्स विलसन है। देश में बजट पेश करने की परंपरा आजादी से पहले की है। जेम्स विलसन ने 7 अप्रैल 1860 में भारत का पहला बजट पेश किया था। वह इंडियन काउंसिल के वित्त सदस्य थे। यह परिषद इंडियन वॉइसरॉय को सलाह देती थी। आजादी के बाद पहला बजट 26 नवंबर 1947 में पेश हुआ था। इसे आरके शणमुखम शेट्टी ने पेश किया था। वह आजाद भारत के पहले वित्त मंत्री भी बने।
आजादी से पहले आखिरी बजट
भारत के आम बजट को लेकर लोग तमाम उम्मीदें लगाते हैं। इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं, लेकिन कभी यह सोचा है कि यह बजट प्रक्रिया देश में कैसे शुरू हुई। इसके पीछे क्या मकसद था और इसे किसने शुरू किया। कई बार लोग सोचते भी हैं लेकिन उन्हें जवाब नहीं मिल पाता है, पहले बजट की प्रक्रिया 18 फरवरी 1860 को शुरू हुई थी। हालांकि इस दौरान 1867 तक वित्त वर्ष की अवधि 1 मई से 30 अप्रैल तक होती थी, लेकिन समय के साथ काफी कुछ बदला। इसके बाद भारत में 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के लिए वित्त वर्ष की शुरुआत 1867 से हुई। इसके बाद देश में आजादी का दौर आया। जिसमें आजादी से पहले भारत का अंतरिम सरकार का बजट लियाकत अली खां ने पेश किया था।
1987 के बजट में हुए काफी बदलाव
वहीं आजादी के ठीक बाद भारत का पहला अंतरिम बजट आर. के षणमुखम शेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को सदन में पेश किया था। तब से लेकर अब तक आम बजट के स्वरूप में काफी बदलाव देखने को मिलें। पहले आम बजट के दस्तावेज हिंदी में वित्त वर्ष 1955-56 से होते और यहीं से ब्लैक मनी उजागर करने की स्कीम शुरू की गई थी। इसके बाद राजीव गांधी ने 1987 के बजट में काफी बदलाव किया। उन्होंने पहली बार कॉरपोरेट टैक्स का न्यूनतम वैकल्पिक टैक्स पेश किया था। इसके बाद केंद्रीय बजट में 1994 में सर्विस टैक्स का का आप्शन जोड़ा गया।
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