मुंबई (पीटीआई)। प्री-बजट मेमोरेंडम में लाइफ इंश्योरेंस कौंसिल की मांग है कि पर्सनल टैक्स में अलग से छूट का प्रावधान किया जाए या व्यक्तिगत जीवन बीमा का प्रीमियम भरने पर टैक्स छूट की लिमिट बढ़ाई जाए। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वित्त वर्ष 2020-21 के लिए देश का आम बजट पेश करेंगी। कौंसिल के सचिव एसएन भट्टाचार्य ने कहा कि हमने प्रीमियम भरने पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री से अनुरोध किया है। उनका कहना था कि अभी 80सी के तहत टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख रुपये है।
अभी टैक्स छूट की सीमा 1.5 लाख रुपये
जीवन बीमा प्रीमियम भरने पर टैक्स छूट अलग से न देना हो तो 80सी के तहत छूट की वर्तमान सीमा 1.5 लाख रुपये से बढ़ा कर 3 लाख रुपये कर देनी चाहिए क्योंकि इस छूट के तहत शाॅर्ट टर्म और लांग टर्म के तमाम निवेश भी शामिल हैं। आदित्य बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस के मैनेजिंग डाइरेक्टर व सीईओ कमलेश राव ने किहा कि पहली बार जीवन बीमा कराने वालों को अलग से 50 हजार की छूट मिलनी चाहिए। इसके अलावा प्योर जीवन बीमा जैसे टर्म इंश्योरेंस कराने वाले को अतिरिक्त 50 हजार रुपये की छूट मिलनी चाहिए। राव का कहना था कि जीएसटी की दर घटा कर 12 फीसदी (इनपुट टैक्स क्रेडिट लाभ सहित) करनी चाहिए ताकि पाॅलिसी धारक और कंपनियों दोनों को फायदा होगा।
पेंशन स्कीम पर भी मिले टैक्स छूट
बजाज एलियांज लाइफ के मैनेजिंग डाइरेक्टर व सीईओ तरुण चुघ ने कहा कि लाइफ इंश्योरेंस कंपनियों के पेंशन उत्पाद और सरकारी पेंशन स्कीम एनपीएस दोनों के लक्ष्य समान हैं। दोनों का उद्देश्य रिटायरमेंट के लिए लांग टर्म इनवेस्टमेंट है इसलिए सरकार को इसे बजट में टैक्स छूट दिया जाना चाहिए। जनरल इंश्योरेंस कौंसिल ने भी गैर जीवन बीमा उत्पादों पर से जीएसटी 18 फीसदी से घटा कर 12 करने की मांग रखी है। जनरल इंश्योरेंस कौंसिल के महा सचिव एमएन शर्मा ने कहा कि बीमा जरूरत बन गया है। जोखिम प्रबंधन की खातिर लोगों को उत्साहित करने के लिए जरूरी है कि सरकार जीएसटी 18 फीसदी से घटा कर 12 फीसदी करे।