कोर्ट में अपना सिर झुका लिया
आतंकवाद विरोधी अंतररराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुये निकम ने कहा, 'कसाब के बिरयानी मांगने वाली पूरी तरह से गलत है. कसाब ने कभी भी बिरयानी की मांग नहीं की थी और न ही सरकार ने उसे बिरयानी परोसी थी. उन्होंने कहा कि मुकदमे के दौरान कसाब के पक्ष में बन रहे भावनात्मक माहौल को देखते हुये यह कदम उठाया गया. कसाब के पक्ष में भावात्मक माहौल को रोकने के लिये मैंने ही इसे गढ़ा था. इसके पीछे मुख्य कारण मीडिया भी थी, क्यों कि मीडिया गहराई से कसाब पर नजर रख रही थी और उसे यह बात अच्छे से पता थी. इसलिए उसने एक दिन कोर्ट में अपना सिर झुका लिया और अपने आंसू पोंछने लगा. उसकी यह बात हाईलाइट होने लगी. कहा जाने लगा कि रक्षाबंधन के दिन कसाब अपनी बहन को याद कर रो रहा है. इसके साथ ही उसके आतंकी होने पर सवाल उठने लगे थे.
कसाब का बिरयानी खाने का मन
उज्ज्वल निकम ने कहा कि उस समय इस तरह की भावनात्मक लहर और माहौल को रोकने की जरूरत थी. इसलिए इसके बाद मैंने ही मीडिया में बयान दिया कि कसाब का बिरयानी खाने का मन है. जिससे उसने जेल में मटन बिरयानी की मांग की है. उसके बाद मीडिया ने उसके भावुक होने वाले मामले को छोउ़ दिया और दिखाने लगा कि एक खूंखार आतंकवादी जेल में मटन बिरयानी की मांग कर रहा है. जबकि 'सचाई यह है कि कसाब ने न तो बिरयानी मांगी थी, न ही उसे परोसी गई थी. गौरतलब है कि पाकिस्तानी आतंकवादी कसाब को नवंबर 2008 में हुए आतंकी हमले में वह पकड़ा गया था. जिसमें करीब चार साल बाद नवंबर 2012 में फांसी दे दी गई थी.
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