यह कैसे काम करेगा?
वर्चुअल आईडी व्यवस्था लागू हो जाने के बाद आधार वैरिफिकेशन ज्यादा सुरक्षित हो जाएगा। अब जहां आप वैरिफिकेशन के लिए आधार का इस्तेमाल करते थे, अब वहां पर वर्चुअल आईडी यूज की जाएगी। वर्चुअल आईडी दरअसल कंप्यूटर द्वारा बनाया गया नंबर होगा, जो जरूरत पर तत्काल जारी किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर सरकार केवाईसी के लिए आधार के इस्तेमाल को भी सीमित करेगी। अभी कई एजेंसियों के पास आपकी डिटेल पहुंच जाती है और वो उसे अपने पास रखते हैं। जब केवाईसी के लिए आधार का जरूरत ही कम हो जाएगी, तो ऐसी एजेंसियों की संख्या भी घट जाएगी, जिनके पास आपकी डिटेल होगी। महज एक दिन पहले ही आरबीआई के सहयोग से तैयार हुए रिसर्च नोट में आधार को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है। केंद्रीय बैंक से जुड़े एक समूह ने कहा था कि आधार डाटा साइबर अपराधियों के लिए एक बत्तख की तरह है।
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अमेरिकी व्हिसल ब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने दी थी चेतावनी
कुछ दिन पहले ही अमेरिकी व्हिसल ब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने चेतावनी दी थी कि आधार डाटाबेस का मिसयूज किया जा सकता है। स्नोडेन ने यह बात ऐसे वक्त पर कही है जब आधार डाटा की सुरक्षा को लेकर कई तरह की खबरें आ रही हैं। इस बयान से एक दिन पहले यह खबर आई थी कि महज 500 रुपये में आधार डाटा उपलब्ध है। इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए यूआईडीएआई ने कहा कि उनका सिस्टम पूरी तरह सिक्योर है और इसके मिसयूज को तुरंत पकड़ा जा सकता है।
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डाटाबेस में डाटा चोरी की बात उठी
अथॉरिटी ने अपने बयान में कहा था कि बायोमीट्रिक डाटाबेस से डाटा चोरी का कोई मामला सामने नहीं आया है, यह पूरी तरह सुरक्षित है। सर्च फैसिलिटी पर उपलब्ध जानकारी के बिना बायोमैट्रिक्स का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता। यूआईडीएआई ने कहा था कि आधार नंबर कोई सीक्रेट नंबर नहीं है और आधार होल्डर की मर्जी पर किसी सेवा या सरकारी वेलफेयर स्कीम्स का फायदा लेने के लिए इसे अधिकृत एजेंसियों के साथ साझा किया जाता है।
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