यहां हुआ कुछ ऐसा
ये कहानी सामने आई है झारखंड की राजधानी रांची से सटे जिले खूंटी के गनालोया गांव से। यहां रहने वाली दो बहनों में घर में शौचालय की जरूरत महसूस हुई। अब भला वो किससे कहती अपनी जरूरत। पिता से कहा नहीं, सरकार तक अपनी गुहार पहुंचा नहीं सकती थीं और मां इसमें कुछ कर नहीं सकती थी। ऐसे में इनमें से बड़ी बहन पुनिया (बीए की छात्रा) के दिमाग में एक आइडिया आया और उसने अपने इस आइडिया को अपनी छोटी बहन (स्कूल की छात्रा) से शेयर किया।
आया एक आइडिया
उसका ये आइडिया था छात्रवृति में मिलने वाले पैसों से मदद लेने का। बता दें कि पुनिया को छात्रवृति के तौर पर पांच हजार रुपये मिलते हैं और छोटी बहन को चार हजार रुपये। दोनों में अपने-अपने छात्रवृति के पैसे मिलाने की बात पर सुलह हो गई और शुरू हो गया घर में शौचालय बनने का काम। अब आप सोच रहे होंगे कि इतने ही पैसों में भी भला कैसे मजदूर और मिस्त्री के पैसों का भी जुगाड़ हुआ होगा। आइए आपको बताते हैं कि कैसे हुआ आगे इसका भी जुगाड़।
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दोनों ने खुद ऐसे किया काम
दोनों के घर के बगल वाले घर में कुछ लेबर शौचालय बनाने का काम कर रहे थे। उन्हीं को देखकर दोनों बहनों ने सामान लाकर खुद ही शौचालय बना डाला। हां, आखिर में इस काम में कुछ पैसों की कमी पड़ी, तो उसको इनकी मां ने पूरा कर दिया। घर खर्च से बचाए हुए कुछ पैसे उनके पास रखे हुए थे, वो उन्होंने अपनी बेटियों की मदद में दे दिए। इस तरह से घर में बन गया एक बेहतरीन शौचालय।
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मां को है बेहद खुशी
दोनों बहनों के इस काम में सबसे बड़ी ताज्जुब की बात तो ये है कि न तो बेटियों ने पिता से मदद मांगी और न ही पिता ने काम को होता हुआ देख खुद भी उसमें कुछ मदद की। वहीं पुनिया की मां अपनी बेटियों के इस काम से बेहद खुश हैं। खुश होना लाजमी भी है। कारण है कि अब उनको शौच पर जाने के लिए शाम ढलने का इंतजार नहीं करना पड़ता। न ही बेटियों की असुरक्षा की चिंता उनको सताती है।
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