मुंबई (एएनआई)। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (यूएफबीयू) ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण और प्रतिगामी बैंकिंग सुधार के खिलाफ 15 और 16 मार्च को दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इसके वजह से सोमवार को बैंक बंद देखे गए। यूएफबीयू का दावा है कि 10 लाख बैंक कर्मचारी और अधिकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ आंदोलन पर हैं। यूएफबीयू के संयोजक संजीव कुमार बंदिश ने कहा, यह हमारे लिए करो या मरो की स्थिति है। उन्होंने कहा कि यूएफबीयू जिसमें AIBEA, AIBOC, NCBE, AIBOA, BEFI, INBEF, INBOC, NOBW और NOBO शामिल हैं, ने सभी बैंकों की बैंक हड़ताल के लिए भारतीय बैंक संघ को एक नोटिस दिया है ।
बैंक कर्मचारियों ने भी हड़ताल में भाग लिया और नारे लगाए
यूएफबीयू के संयोजक ने कहा कि मैं अपने सभी साथियों से आग्रह करता हूं कि वे सरकार को अपना विरोध व्यक्त करने के लिए हड़ताल में भाग लें। विरोध सिर्फ बैंक कर्मचारियों के हित में नहीं है बल्कि देश के सभी नागरिकों के लिए है। उन्होंने कहा कि निजी बैंक देश के हित में नहीं हैं। हम PSBs को बचाएंगे। कनॉट प्लेस में एक बैंक के कर्मचारियों ने बैंक कर्मचारियों की 2 दिन की देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में नारे लगाए। हड़ताल में तीन मुख्य नारों में पीएसबी को बचाना, सामाजिक बैंकिंग को बनाए रखना और लोगों की बचत को सुरक्षित रखना शामिल है। अगरतला और पटना में बैंक कर्मचारियों ने भी हड़ताल में भाग लिया और नारे लगाए।
देश के लोगों को हड़ताल का समर्थन के लिए कहा जाएगा
पंकज कपूर महासचिव बैंक ऑफ इंडिया ऑफिसर्स एसोसिएशन दिल्ली ने कहा, बजट घोषणा में कहा गया है कि विनिवेश के नाम पर दो बैंकों और एक बीमा कंपनी का निजीकरण किया जाएगा। कोई नहीं जानता कि यह विनिवेश क्या है और कौन जानता है कि विनिवेश से पैसा कहां जाता है? उन्होंने आगे कहा, केंद्रीय वित्त मंत्री के बजट भाषण में बैंकों के नामों का उल्लेख नहीं किया गया है, जिससे पता चलता है कि सरकार के पास कोई योजना और तैयारी नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार अपनी निजीकरण की नीति का पालन करती है तो देश के लोगों को हड़ताल का समर्थन करने के लिए कहा जाएगा।
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