इस बात की भी है चर्चा
इसके साथ ही कंपनी के एक्जेक्यूटिव्स इस बात पर भी चर्चा कर रहे हैं कि साइट पर करेक्टर लिमिट को कैसे मापेंगे। उदाहरण्ा के तौर पर काउंट से लिंक्स और यूजर हैंडल को बढ़ाकर। इस बात का भी हल निकाला जाना अभी बाकी है। ऐसे बदलाव का विचार टि्वटर के को-फाउंडर जैक डोर्सी के मन में उस समय आया, जब वे साइट पर यूजर्स की ग्रोथ को बढ़ाने पर गहराई से विचार कर रहे थे।

इसलिए उठाया बदलाव का कदम
गौरतलब है कि ट्विटर के दूसरी तिमाही के मासिक औसत यूजर्स के वृद्धि की रफ्तार में मंदी आई है। 2013 से अब तक इसकी यूजर्स की संख्या उतनी तेजी के साथ नहीं बढ़ी, जितने की उम्मींद थी। ऐसे में कई यूजर्स और डिजाइनर्स ने इस बात की सलाह दी कि टि्वटर को फेसबुक की तरह अपनी करेक्टर लिमिट को बढ़ाने पर काम करना चाहिए। हालांकि फेसबुक पर करेक्टर्स की कोई लिमिट नहीं है।  वैसे इस नए उत्पाद के साथ टि्वटर कैसा दिखेगा, ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। वहीं साइट के प्रवक्ता ने भी इस बात पर टिप्पणी करने से साफ मना कर दिया है।

ऐसी सुविधाएं बढ़ाई जा चुकी हैं पहले ही
इसके बावजूद इतना तो साफ है कि कंपनी अपनी सेवाओं को और आसान बनाने के क्रम में तेजी के साथ काम कर रही है। इसके साथ ही कंपनी की लोगों को लुभाने की कोशिश भी जारी है, ताकि वो ज्यादा से ज्यादा समय साइट पर बिताएं। वैसे याद दिला दें कि कंपनी की ओर से इसके डायरेक्ट मैसेजे पर पहले ही 140 करेक्टर लिमिट को खत्म कर दिया गया है। इसके अलावा अब इसपर लोगों को सामान खरीदने और ट्वीट्स के माध्यम से राजनीतिक दान करने की भी सुविधा दी गई है।

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