कहानी:
मेरे मोहल्ले में एक आंटी थी, हर वक़्त बोलती रहती थी, मोहल्ले की औरतों की लीडर समझ लीजिए। उनके पास बड़े बड़े सपने थे और छोटे छोटे बच्चे भी, कभी नवरात्रि डांडिया में बर्तन का सेट जीत जातीं तो कभी स्कूल के बच्चों के फेस्ट में तंबोला। इनके सपने थे कि कुछ बड़ा करके दिखया जाए, उन्होंने कोशिश की, दिन में तो वक़्त मिलता नहीं था, ग्रहणी जो थी तो रात उन्होंने अपने सपने देखने के बजाए उन्हें पूरा करने के नाम लगा दी...आखिर रातें होती किसलिए हैं... या तो सपने देखने के लिए या उन्हें पूरा करने के लिए। जब सपने पूरे हुए तो उनकी ज़िंदगी बदल गई। तुम्हारी सुलु वैसी ही एक आंटी की कहानी है...

समीक्षा:
लेट नाइट आरजे 'साड़ी वाली भाभी' सुनते ही सबसे पहले ख्याल आता है किसी चीप घटिया सी ग्रेड फ़िल्म या सड़कछाप सॉफ्टपोर्न किताब का टाइटल हो। और यकीन मानिए बड़ा आसान था तुम्हारी सुलु को उस जोन में ले जाना, पर फ़िल्म उस जोन में नहीं जाती। ये एक स्लाइस ऑफ लाइफ फ़िल्म है इसलिए बेहतर होगा कि आप इसे एक कॉमेडी फिल्म समझ कर देखने न जाएं। फ़िल्म में कॉमेडी है पर ये एक कॉमेडी फिल्म नहीं है। ये फ़िल्म एक मिडल क्लास फैमिली की गृहणी की ज़िंदगी का आईना है। फ़िल्म के डायलॉग बेहद रीयलिस्टिक हैं और वही इस फ़िल्म का हाई प्वॉइंट हैं। फ़िल्म का संगीत और फ़िल्म के बाकी टेक्निकल डिपार्टमेंट भी अच्छे हैं।

 



अदाकारी:
सुलोचना के किरदार में विद्या बालन एकदम ऐसे फिट होती हैं, जैसे कि किरदार उनको ध्यान में राख के ही लिखा गया हो। पर अगर सच में कोई इम्प्रेस करता है तो वो हैं मानव कौल जो कि विद्या के पति का किरदार अदा कर रहे हैं, हर एक सीन में उनका काम देखने लायक है। ओवर आल फ़िल्म की कास्टिंग बहुत अच्छी है।

कुछ जो कमी है-
फ़िल्म कहीं कहीं पर थोड़ी स्लो हो जाती है यही इस फ़िल्म का वीक पॉइंट है। एडिटिंग बेहतर हो सकती थी।

कुल मिलाकर ये फ़िल्म ज़रूर देखने लायक है, और इस हफ्ते इसे ज़रूर जाके देखिये।

रेटिंग : 3.5 स्टार

Yohaann Bhargava
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