तीन तलाक पर तीन साल की जेल
तलाक-ए-बिद्दत यानी कि तीन तलाक को लेकर पूरे देश की निगाहें कल संसद के शीतकालीन सत्र पर टिकी हैं। मोदी सरकार तीन तलाक को गैर-जमानती अपराध बनाने वाले बिल पर अपनी अंतिम मुहर लगा देगी। खबरों की मानें तो तीन तलाक पर बैन लगाने का प्रस्ताव व दोषी को तीन साल की कैद व जुर्माने की सजा का प्रावधान किया जा सकता है। एक साथ तीन तलाक वाली यह प्रथा करीब 1400 साल पुरानी है।
कोर्ट ने करार किया असंवैधानिक
इस तलाक में इसमें कागज या लिखा पढ़ी की जरूरत नहीं होती है। इसमें अगर एक साथ तलाक तलाक तलाक तीन बार मजाक में भी बोल दें तो भी रिश्ता खत्म हो जाता है। इससे महिलाओं में असुरक्षा की भावना है। महिला हित को ध्यान में रखते हुए हाल ही में देश तलाक-ए-बिद्दत पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया था। कोर्ट ने अगस्त में एक साथ तीन तलाक लेने वाले तलाक-ए-बिद्दत को असंवैधानिक करार दिया था।
ऐसे कोर्ट तक पंहुचा था ये मामला
2016 में उतराखंड की शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके तीन तलाकए हलाला निकाह और बहु-विवाह की व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की थी। । बानो ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन कानून 1937 की धारा 2 की संवैधानिकता को चुनौती दी है। कोर्ट में दाखिल याचिका में शायरा ने कहा है कि मुस्लिम महिलाओं के हाथ बंधे होते हैं और उन पर तलाक की तलवार लटकती रहती है।
पाक में 1956 से तीन तलाक बैन
तीन तलाक के मामले को लेकर भारत में जहां इतना हंगामा बरपा है वहीं पड़ोंसी पाकिस्तान में तीन तलाक का किस्सा काफी पहले खत्म कर दिया था। पाकिस्तान ने इस पर बैन 1955 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोहम्मद अली बोगरा वाले मामले के बाद सख्त कदम उठाए थे। पीएम ने सेक्रेटरी से शादी कर ली थी। इस पर पाकिस्तान में महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा था। इसके बाद यहां पर 1956 से तीन तलाक बैन है।
बांग्लादेश भी इस केस में भारत से आगे
बांग्लादेश भी इस मामले में भारत से आगे है। यहां भी महिलाहितों को ध्यान में रखते हुए एक साथ तीन बार बोलकर लिया जाने वाला तलाक बैन है। यहां पर अगर किसी दंपत्ति को तलाक लेना भी है तो वह तलाक-ए-बिद्दत के तहत नहीं बल्कि एक पूरी प्रक्रिया निभाकर अलग होते हैं। बांग्लादेश में तलाक से पहले यूनियन काउंसिल के चेयरमैन को शादी खत्म करने से जुड़ा एक नोटिस देना अनिवार्य माना जाता है।
पड़ोसी श्रीलंका में भी तीन तलाक बैन
वहीं भारत के पड़ोसी श्रीलंका में भी तीन तलाक बैन है। यहां मैरिज एंड डिवोर्स (मुस्लिम) एक्ट 1951 के तहत तलाक के लिए पति को एक मुस्लिम जज को नोटिस देना होता है। इस दौरान पहले घर परिवार और समाज के बड़े बुजुर्ग तलाक ले रहे दंपत्ति को समझाने का प्रयास करते हैं। सुलह का हर संभव प्रयास होता है लेकिन सफल न होने पर एक मुसलमान जज और दो गवाहों के सामने 30 दिन बाद तलाक हो जाता है।
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