पुराने कोच की तुलना में नए कोच ज्यादा सुरक्षित
पहले उत्कल एक्सप्रेस और फिर कैफियत एक्सप्रेस के पटरी से उतरने के बाद भारतीय रेलवे में सुरक्षा को लेकर फिर सवाल खड़े हो गए हैं। एक तरफ हम बुलेट ट्रेन चलाने की बात करते हैं वहीं एक्सप्रेस ट्रेनों की सुरक्षा में चूक भारतीय रेलवे की कमजोरी को सामने ले आता है। भारत में चलने वाली कई ट्रेनों में पुरानी तकनीक वाले कन्वेशनल कोच लगे हैं जिसकी वजह से हादसे के दौरान ज्यादा मौतें होती हैं। वैसे इंडियन रेलवे ने इससे छुटकारा पाने के लिए लिंक हॉफमेन बुश कोच का निर्माण किया है।

क्या है लिंक हाफमेन बुश?
रिसर्च डिजाइन्स ऐंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन (RDSO) ने तकरीबन 10 साल पहले ऐसे कोच बनाये थे, जो आपस में टकरा न सकें। इन्हें लिंक हॉफमेन बुश (एलएचबी) कोच नाम दिया गया। इन टक्कररोधी कोच का आलमनगर में सफल परीक्षण किया था। उसके बाद कोचों के डिजाइन में सुधार भी किया था। एलएचबी कोचों और सीबीसी कपलिंग होने से ट्रेन के कोचों के पलटने और एक दूसरे पर चढ़ने की गुंजाइश नहीं रहती है।

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1. उच्च स्तरीक तकनीक :
एलएचबी कोच पुराने कन्वेशनल कोच से काफी अलग होते हैं। ये उच्च स्तरीय तकनीक से लैस है। इन कोचों में बेहतर एक्जावर का उपयोग किया गया है। जिससे आवाज कम होती है। यानी कि पटरियों पर दौड़ते वक्त अंदर बैठे यात्रियों को ट्रेन के चलने की आवाज बहुत धीमी आती है।

2. स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं डिब्बे :

ये कोच स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं। जबकि इंटीरियर डिजाइन एल्यूमीनियम से की जाती है। जिससे कि यह कोच पहले की तुलना में थोड़े हल्के होते हैं।

3. पॉवर ब्रेक :

इन कोचों में डिस्क ब्रेक कम समय व कम दूरी में अच्छे ढंग से ब्रेक लगा देते है। कोचों में लगे शाक एक्जावर की वजह से झटकों का अनुभव कम होगा।

4. सीबीसी कपलिंग से डिब्बे एक-दूसरे पर नहीं चढ़ते :
एलएचबी डिब्बों में सीबीसी कपलिंग लगाई जाती है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि अगर ट्रेन डिरेल भी होती है तो कपलिंग के टूटने की आशंका नहीं होती है, जबकि स्क्रू कपलिंग वाले कोचों के डिरेल होने से उसके टूटने का डर बना रहता है।

5. टॉयलेट सिस्टम भी होता है बेहतर :
कोच की खास चीज कोचों में लगे कंट्रोल्ड डिस्चार्ज टायलेट सिस्टम की वजह से गाड़ी के स्टेशन पर रुकने पर यह ट्रेन के शौचालय के दरवाजों को बंद कर देगी और खड़ी ट्रेन में यात्री शौचालयों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। ट्रेन के स्टेशन से चलने के बाद 30 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेने पर शौचालयों के दरवाजे दुबारा खुल जाएंगे। इससे स्टेशनों में सफाई व्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।

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फिलहाल इन ट्रेनों में लगे हैं नए कोच
भारतीय रेलवे ने 2017 अंत तक सभी ट्रेनों में एलएचबी कोच लगाने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल ये कोच सिर्फ प्रीमियम ट्रेनों में लगे हैं। जैसे कि, राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्सप्रेस, दुरंतो एक्सप्रेस, डबल डेकर एक्सप्रेस, अंत्योदय एक्सप्रेस और हमसफर एक्सप्रेस।

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