MRI की ये खासियतें जानकर आप भी कहेंगे कि ये मशीन तो हम लोगों के लिए बहुत काम की है, क्योंकि ये एक्सरे या CT-Scan की तरह रेडियेशन का यूज नहीं करती बल्कि बहुत ही आसान तरीके से इंसानों के शरीर में छिपी बीमारियों का पता लगाती है। आइए जानें MRI मशीन की शानदार टेक्नोलॉजी और इसके कमाल के फीचर्स के बारे में सब कुछ.....
1- MRI टेक्नोलॉजी सिर्फ मेडिकल डायग्नोस्टिक नहीं बल्कि कई और काम कर सकती है। जैसे कि वीडियो गेम खेलने वाले लोगों के दिमाग को पढ़ने के लिए या फिर मेडीटेशन देने के लिए भी MRI का इस्तेमाल किया जाता है। आने वाले सालों में एक ऐसी कार आने वाली है, जो दिमाग को पढ़कर कार चलाने में सक्षम होगी। यह भी MRI का ही चमत्कार होगा।
2- MRI टेक्नोलॉजी को मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग यानी हिंदी में चुम्बकीय अनुनाद प्रतिबिम्बन कहा जाता है। इसमें हाई पॉवर इलेक्ट्रिकल मैग्नेटे्स चारो ओर घूमी हुई मैग्नेटिक फील्ड पैदा करते हैं और रेडियो वेव्स की मदद से शरीर के भीतर मौजूद करीब 70 परसेंट पानी की हलचल को रिकॉर्ड करके उससे एक इमेज बनाते हैं। MRI टेक्नोलॉजी दिमाग, हड्डियों और मशल्स से जुड़ी प्राब्लम्स और बीमारियों को चुटकियों में पकड़ लेती है। शरीर के किसी भी हिस्से में मौजूद कैंसर, ट्यूमर या बोन डैमेज को MRI मशीन तुरंत ही पकड़ लेती है। जब तक MRI मशीन नहीं थी, तब तक डॉक्टर अंदाजे से ही इलाज किया करते थे।
3- आप यह सुनकर चौंक जाएंगे कि MRI मशीन में लगा मुख्य चुंबक एक्टिव होने पर इतनी पावरफुल इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड बनाता है, जो धरती के गुरुत्वाकर्षण से करीब 4000 गुना अधिक ताकत से किसी भी चीज को अपनी ओर खींच सकता है। MRI मशीन का यहीं गुरुत्वाकर्षण इसकी ताकत है और अगर लापरवाही की जाए तो यही ताकत कोई बड़ी एक्सीडेंट करवा सकती है।
4- साल 1977 की 3 जुलाई को एक मरीज पर दुनिया का पहला सक्सेसफुल MRI स्कैन किया गया था, तब से यह ताकतवर टेक्नोलॉजी करोंड़ो मरीजों के शरीर में छिपी बीमारी या डैमेज को आसानी से खोज निकालती है।
5- MRI मशीन की असाधारण मैग्नेटिक पावर के कारण MRI लैब के भीतर धातु का कोई सामान ले जाना प्रतिबंधित होता है। यहां तक की किसी मरीज का MRI स्कैन होने से पहले उसके कान, नाक गले या हाथों में पहने हुए जेवर और अंगूठियां सब कुछ उतरवा ली जाती हैं। एक बार एक महिला के बालों में लगी हेयर पिन के कारण उसकी जान पर बन आई थी।
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6- MRI की मैग्नेटिक पावर के कारण ऐसे किसी भी मरीज की स्कैनिंग नहीं की जा सकती है, जिसके पेसमेकर लगा हो या फिर उसकी बॉडी में या हड्डियों के बीच कोई मेटल रॉड पड़ी हो।
7- MRI मशीन में लगे हाई पावर मैग्नेट को जीरो डिग्री तापमान पर ठंडा रखने की जरूरत होती है। इसके लिए आमतौर पर मशीन में लिक्विड ऑक्सीजन का इस्तेमाल किया जाता है।
8- किसी के शरीर में बीमारी का पता लगाने के लिए MRI स्कैन में 10 मिनट से लेकर 2 घंटे तक का समय लग सकता है। आपको बता दें कि आजकल 3T MRI नाम की मशीन भी विकसित की जा चुकी है, जो पुरानी MRI मशीनों की तुलना में दुगनी शक्तिशाली है। Nikola Tesla ने ही MRI तकनीक का अविष्कार किया था। यही वजह है कि MRI मशीन की पावर को T यूनिट में समझा जाता है।
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9- जिन लोगों को MRI मशीन के शोर या फिर MRI चेंबर के भीतर लेटने में घबराहट होती है, उनके लिए Open MRI मशीन का अविष्कार हो चुका है। इस मशीन से बच्चों का MRI स्कैन या किसी मरीज के साथ बातें करते हुए भी उसका स्कैन लिया जा सकता है।
10- आपको बता दें कि पूरी दुनिया में जनसंख्या के अनुपात में सबसे ज्यादा MRI मशीनें जापान में हैं। यानि कि करीब 10 लाख लोगों पर 43 MRI यूनिट। जापान के बाद दूसरे नंबर पर है अमेरिका, जहां 10 लाख लोगों पर करीब 26 MRI यूनिट लगी हुई हैं।
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