16 मई 2008 में नोएडा में रहने वाले तलवार दंपत्ति की 14 साल की बेटी आरुषि तलवार अपने बेडरुम में मरी हुई पायी गई। पहले कहा गया कि उसकी हत्या घर में ही रहने वाले नौकर हेमराज ने की है, लेकिन कुछ ही घंटों बाद हेमराज की लाश घर की छत पर बरामद की गई। तबसे अब तक जाने कितने पहलुओं पर जांच की गई पर कोई भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिला की आखिर आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या किसने और कैसे की। कुछ प्रश्न अनुततरित ही हैं हालांकि इस मामले में आरुषि के मां-बाप राजेश और नूपुर तलवार को दोषी मानते हुए 26 नवंबर, 2013 को उम्रकैद की सजा सुना दी गई जिसके बाद दोनों को डासना जेल भेज दिया गया। उन्हीं की अपील पर अब इलाहाबाद हाई कोर्ट फैसला सुनायेगी।
सुनंदा पुष्कर मर्डर केस
ऐसा ही अनसुलझा मामला है केंद्रीय मंत्री रह चुके कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की हत्या का। 17 जनवरी 2014 को दिल्ली के होटल द लीला पैलेस के कमरा नंबर 345 में सुनंदा पुष्कर मृत पायी गईं थी। शुरू में उनकी मौत को आत्महत्या बताते हुए कहा गया कि उन्होंने शराब के साथ नींद की गोलियां ज्यादा तादाद में खा लीं और ये उनकी मौत की वजह बनी। बाद में कहा गया कि उनके पोस्मार्टम रिर्पोट में सामने आया है कि उनकी मौत की वजह एक खास किस्म का जहर है। सुनंदा के शरीर पर चोटों के भी निशान पाये गए। उनके विसरे को जांच के लिए विदेश भेजा गया। बहरहाल ये स्थापित होने के बाद की सुनंदा ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उनकी हत्या हुई है। केस की फिर से जांच शुरू हुई। मामले से जुड़े सुनंदा के पति शशि थरूर के अलावा तमाम लोगों से दोबारा पूछताछ की गई। इसके बाद भी आज तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठा कि आखिर सुनंदा के हत्यारे कौन थे।
जिया खान मर्डर केस
फिल्म अभिनेत्री जिया खान भी 3 जून 2013 की सुबह अपने अपार्टमेंट में मृत पायी गई थीं। पहली नजर में उनकी मौत को भी आत्महत्या ही समझा गया क्योंकि उनके कमरे से एक सुसाइड नोट भी मिला था। बाद में उनके शरीर पर दिखे चोटों के निशान और आत्मयत्या के लिए लगाये फंदे के निशानों में विसंगति पाये जाने के चलते इसे हत्या का मामला माना गया। जिया की मां ने भी हत्या होने का दावा किया और जिया के दोस्त सूरज पांचोली पर इसका आरोप लगाया। मामले में सूरज की गिरफ्तारी भी हुई। हालाकि पूछताछ के बाद सूरज को छोड़ दिया गया और चार साल बाद भी ये मामला अनसुलझा ही है।
राजीव दीक्षित मर्डर केस
सामाजिक कार्यकर्ता और भारतीय राष्ट्रवादी राजीव दीक्षित 30 नवंबर 2010 को भारत स्वाभिमान यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ के भिलाई गांव में एक कार्यक्रम में भाषण दे रहे थे जब अचानक हार्ट अटैक के चलते उनकी मौत हो गई। जांच में उनको स्लो प्वाईजन देने की बात सामने आई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद भी इसकी कोई जांच नहीं कि गई और आज तक ये रहस्य अनसुलझा है कि आखिर कौन था जो ये साजिश रच रहा था। राजीव का मानना था कि उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण ये तीन ऐसी बुराइयां हैं जो हमारे समाज तथा देश की संस्कृति व विरासत को तोड़ रही हैं। वह स्वदेशी आंदोलन और आज़ादी बचाओ आंदोलन के भी प्रणेता थे। जाहिर है ऐसे व्यक्ति के कई दुश्मन होते हैं और शायद वही उनकी मौत की वजह भी थे पर अब इस रहस्य को कौन पता लगायेगा।
रिजवार्नुरहमान मर्डर केस
रिजवार्नुरहमान एक कंप्यूटर ग्राफिक्स ट्रेनर था जिसे लक्स कोज़ी होज़री ब्रांड के मालिक अशोक तोडी की बेटी प्रियंका तोडी प्यार करती थी। प्रियंका पिता अशोक इस शादी के खिलाफ थे फिर भी उन दोनों ने शादी कर ली। नाराज तोडी ने शादी के कुछ समय बाद ही प्रियंका को वापस बुला लिया और रिज़वानुर से मिलने जुलने और बात करने पर रोक लगा दी। इसके कुछ समय बाद ही 21 सितम्बर 2007 को रिज़वानुर का मृत शरीर कोलकाता के एक रेलवे ट्रैक से बरामद किया गया। हालांकि इस मामले को आत्महत्या बता कर दबाने की कोशिश की गई लेकिन मीडिया में बेहद चर्चित होने के बाद जांच हुई और पता लगा कि ये एक हत्या थी। मई 2010 में कोलकाता उच्च न्यायालय ने भाई रुकबानुर रहमान की याचिका पर कार्रवाई करते हुए CBI को हत्या का मामला दर्ज करके मामले की नए सिरे से जांच के आदेश दिए। आत्महत्या के लिए उकसाने के कथित आरोप में तोडी, उनके दो रिश्तेदार और चार वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ़ आरोपपत्र भी दायर किए गए। तब से मामले की जांच चल रही है और हत्यारे का कोई पता नहीं। इस अनसुलझे केस की एक महत्वपूर्ण किरदार प्रियंका 2013 में आखिरी बार एक अवॉर्ड शो में सार्वजनिक रूप से दिखाई दी थीं।
चंद्रशेखर प्रसाद मर्डर केस
एक्टिविस्ट बनने की इच्छा के चलते सैनिक स्कूल, तिलैया से पढ़ाई करके राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के लिए चयनित हुए चंद्रशेखर प्रसाद ने एनडीए छोड़ कर पटना विश्वविद्यालय में एडमीशन लिया था। इसके बाद उन्होंने जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय यानि जेएनयू में दाखिला लिया, जहां वे आईसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन) के सदस्य बने और तीन बार जेएनयू छात्र संघ के लिए चुने गए। 1995 और 1996 में वे जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। इन्हीं डाइनमिक व्यक्तिव के मालिक चंद्रशेखर की 31 मार्च 1997 को सीवान में भाकपा माले के एक बंद के समर्थन में रैली के दौरान गोली मार कर हत्या कर दी गई। इस मामले में सीवान के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन का हाथ होने की बात सामने आई। इसके बाद दिल्ली और बिहार में कई स्थानों पर छात्रों के जम कर प्रदर्शन हुए, लेकिन पुलिस आज तक इस केस कि गुत्थी नहीं सुलझा पाई है।
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