कानपुर। स्टीव जॉब्स ने अपनी जिंदगी के बारे में कभी भी लोगों से बहुत ज्यादा डिस्कस नहीं किया लेकिन साल 2005 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में दी अपनी स्पीच के दौरान उन्होंने स्टूडेंट से जो कुछ भी कहा वह बातें हमारे लिए भी बहुत ज्यादा काम की है, जिनके दम पर हम जिंदगी में बड़ी से बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं।
जिंदगी की सबसे बुरी घटना आपको दिला सकती है सबसे बड़ी सफलता
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में दिए भाषण के दौरान स्टीव जॉब्स ने बहुत जोर देकर कहा था कि कई बार हमारी जिंदगी में घटी बहुत कठिन और भयानक घटना ही हमारी जिंदगी के लिए सबसे अच्छी साबित होती है। कुछ ऐसा ही उनके साथ भी हुआ था। एप्पल कंपनी के को फाउंडर स्टीव जॉब्स को उनकी कंपनी ने 10 साल बाद कंपनी से बाहर निकाल दिया। ऐपल के बोर्ड ने यह कार्रवाई कंपनी के एक एग्जीक्यूटिव जॉन इस्कले की वजह से की थी। यह जानकर आप दंग रह जाएंगे उस व्यक्ति को स्टीव जॉब्स ने ही नौकरी पर रखा था। हालांकि कंपनी से निकाले जाने के बाद 5 सालों के भीतर स्टीव जॉब्स ने नेक्स्ट और पिक्सार एनीमेशन नाम की दो सफल कंपनियां खड़ी कर दीं। इसी दौरान उन्हें एक महिला से प्यार हो गया जो बाद में उनकी पत्नी बनीं। बाद में कंपनी को एहसास हुआ कि स्टीव जॉब्स के बिना तो काम चलना मुश्किल है फिर एप्पल ने जॉब्स की बनाई दोनों नई कंपनियां खरीद लीं और उन्हें कंपनी में बड़ा पद ऑफर किया। शायद इसी कारण जॉब्स ऐपल से खुद को निकाले जाने की घटना को खुद के लिए सबसे बेहतरीन मानते थे, जिसके कारण उनकी जिंदगी में सबसे खूबसूरत बदलाव हुए।
स्टीव जॉब्स की यह खूबियां कर देती हैं हैरान
इस भाषण के दौरान स्टीव जॉब्स ने कहा था कि हमेशा अपने दिल की आवाज सुनिए और उस पर विश्वास कीजिए। साथ ही यह महसूस कीजिए वह आपको कहां और किस दिशा में ले जा रहा है। अगर सच में आप ऐसा कर रहे हैं तो आपका कोई भी फैसला आपकी जिंदगी में अहम और बेहतरीन बदलाव करने में सक्षम होगा।
स्टीव जॉब्स ने उस भाषण में कहा कि ''आपको अपना हर एक दिन मानना चाहिए कि वह आपकी लाइफ का आखिरी दिन है ऐसे में आप कुछ बड़े और महत्वपूर्ण फैसले लेने में सक्षम हो पाएंगे।'' वही आपकी जिंदगी बदल कर रख देगा। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ जब मुझे पता चला कि कैंसर के कारण मैं कुछ ही दिन जिंदा रह पाऊंगा, उसके बाद जिंदगी में काम करने का मेरा रवैया पूरी तरह बदल गया।
स्टीव जॉब्स मानते थे कि हम सभी को अपने दिल की आवाज को कभी भी दबाना नहीं चाहिए, चाहे कोई भी चीज कितना ही ज्यादा आप पर हावी हो रही हो। इसके अलावा स्टीव जॉब्स का एक ही नारा था ''स्टे हंगरी स्टे फूलिश'' यानी हमेशा ही आप खुद को बेवकूफ समझें और नए-नए का ज्ञान को पाने के लिए भूखे रहें।
जिंदगी में सीखी गई कोई भी चीज कभी बेकार नहीं जाती
स्टीव जॉब्स का मानना था कि जिंदगी में कई बार हमें ऐसी चीजें समझनी या सीखनी पड़ती हैं जो उस वक्त तो हमारे लिए किसी काम की नहीं होती। ऐसे में हमें खुद से निराशा होती है लेकिन ऐसे में हमें यह समझने की कोशिश करनी चाहिए। कैसे वो चीजें भविष्य में हमारे काम आ सकें। जॉब्स ने बताया था कि उनके साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। दरअसल पैसों के अभाव में कॉलेज की पढ़ाई छोड़ने के बाद उनकी जिंदगी पूरी तरह से अधर में थी। इसी दौरान अनऑफिशियल स्टूडेंट के तौर पर वो यूं ही कैलीग्राफी कोर्स कर करते रहे। जिसमें उन्होंने तरह-तरह के खूबसूरत फॉन्ट और लेटर्स को सीखा। उस वक्त स्टीव के लिए वो स्किल किसी भी काम की नहीं थी। पर 10 साल बाद जब उनकी टीम पहला मैकिनटॉश कंप्यूटर बना रही थी, उस वक्त वो पुरानी नॉलेज उनके बड़े काम आई। उस ज्ञान की ही बदौलत उन्होंने दुनिया का पहला ऐसा कंप्यूटर बना डाला, जिसमें एक से बढ़कर एक खूबसूरत टाइपोग्राफी फॉन्ट्स मौजूद थे। इस तरह सालों पहले बेवजह या मजबूरी में सीखी गई किसी चीज से उन्होंने दुनिया को एक शानदार तोहफा दे डाला।
स्टीव जॉब्स की जिंदगी का हर एक दिन... सच में था कमाल
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