सुखोई फाइटर जेट
सुखोई फाइटर जेट की कीमत 358 करोड़ रुपए प्रति यूनिट है। सुखोई 30 एमकेआई भारतीय वायुसेना में शामिल खतरनाक फाइटर प्लेन है। मल्टीरोल वाला यह फाइटर प्लेन रूस के सैन्य विमान निर्माता सुखोई और भारत के हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बना है। इसकी उड़ान की रेंज 4000 किलोमीटर से ज्यादा है। यह एक बार में 8000 किलोग्राम तक हथियार कैरी कर सकता है। यह पाकिस्तान के अमेरिकी फाइटर प्लेन F-16 से बेहतर है। सुखोई-30MKI कुछ ऐसी तकनीकों से लैस है जोकि दुनिया में किसी और फाइटर प्लेन में नहीं है। जैसे इसमें सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम लगा है। जो इसे किसी भी मौसम में रात-दिन काम करने के काबिल बनाता है। ऑटोमेटिक फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम लगा है।
ब्रह्मोस मिसाइल कीमत
ब्रह्मोस मिसाइल कीमत की 20 करोड़ रुपए प्रति यूनिट है। यह देश की सबसे मॉर्डन और दुनिया की सबसे तेज क्रूज मिसाइल है। दुनिया का कोई भी मिसाइल तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर सकता। ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। इस मल्टी मिशन मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है और इसकी गति 208 मैक यानी ध्वनि की क्षमता से 3 गुना तेज है। यह जमीन, समुद्र और आकाश से समुद्र और जमीन पर स्थित टारगेट पर मार कर सकती है। मिसाइल ‘स्टीप डाइव कैपेबिलीटीज’ से लैस है। जिससे यह पहाड़ी क्षेत्रों के पीछे छिपे टारगेट पर भी निशाना साध सकती है। ब्रह्मोस मेनुवरेबल तकनीक से लैस है। यानी दागे जाने के बाद यदि लक्ष्य रास्ता बदल ले तो यह मिसाइल भी अपना रास्ता बदल लेती है और उसे निशाना बनाती है।
एनएजी मिसाइल कैरियर
एनएजी मिसाइल कैरियर की लागत 300 करोड़ रुपए है। एनएजी डीआरडीओ की ओर से बनाई गई फायर एंड फॉरगेट एंटी टैंक मिसाइल है। यह फ्लाइट स्पीड 230 मीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से से 4-5 किलोमीटर तक वार कर सकती है। एनएएमआईसीए एनएजी मिसाइल रखने वाला कैरियर है। जो कि 12 मिसाइल एक साथ रख सकता है। जिसमें 8 हमले के लिए तैयार रहती है।
आईएएनएस चक्र-2
भारत ने 10 साल के लीज के लिए 100 करोड़ खर्च किए है। परमाणु क्षमता युक्त रूस निर्मित पनडुब्बी आईएएनएस चक्र-2 नौसेना का बड़ा हथियार है। मूल रूप से के-152 नेरपा नाम से निर्मित अकुला-2 श्रेणी की इस पनडुब्बी को रूस से 100 करोड़ डॉलर की डील पर 10 साल के लिए लिया गया है। नौसेना में शामिल करने से पहले इसका नाम बदलकर आईएनएस चक्र-2 कर दिया गया। यह पनडुब्बी 600 मीटर तक पानी के अंदर रह सकती है। यह 3 महीने लगातार समुद्र के भीतर रह सकती यह 3 महीने लगातार समुद्र के भीतर रह सकती है। नेरपा पनडुब्बी की अधिकतम गति 30 समुद्री मील है। ये 8 टॉरपीडो से लैस है।
फाल्कोन ऑक्स
फाल्कोन ऑक्स की कीमत 2200 करोड़ रुपये है। यह एयरक्राफ्ट, शिप और वाहनों को लंबी दूरी से ट्रैक करने का काम करता है। पूरी दुनिया में भारतीय वायु सेना के पास सबसे आधुनिक एयरबॉर्न वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम है। यह 360 डिग्री रडार में काम करता है और इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल्ड है। यह 400 किलोमीटर दूर तक वाहनों को ट्रैक कर सकता है।
आईएनएस विक्रमादित्य
इंडिया के सबसे बड़े एयरक्रॉफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य का वजह 44,500 टन है। इस एयरक्रॉफ्ट कैरियर को 2013 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। इसकी लंबाई 283.1 मीटर और ऊंचाई 60.0 मीटर है। इसपर डेक की संख्या 22 है। कुल मिलाकर इसका पूरा एरिया 3 फुटबाल मैदान के बराबर है। इस पोत में कुल 22 मंजिल हैं। यह 1600 लोगों को ले जाने की क्षमता रखता है। यह 32 नॉट यानी 59 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से गश्त करता है और 100 दिन तक लगातार समुद्र में रह सकता है। यह 24 MiG-29K ले जाने में सक्षम है। इस पोत का नाम ऐडमिरल गोर्शकोव था। जिसका नाम बाद में बदलकर विक्रमादित्य कर दिया गया। विक्रमादित्य में विमानपट्टी भी है।
टी-90एस भीष्म
दुश्मन से सीधी लड़ाई के लिए यह टैंक भारत के ब्रह्मास्त्र की तरह हैं। इससे 5 किलोमीटर के दायरे तक प्रहार किया जा सकता है। इस टैंक की खासियत है कि इस पर किसी भी तरह के केमिकल या बायोलॉजिकल हमले और रेडियोएक्टिव हमले का असर नहीं होता। भीष्म को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि हमला होने पर बम इस टैंक से टकराकर कमजोर पड़ जाए और टैंक के अंदर बैठे जवानों को नुकसान न होने पाए। 48 टन वजनी इस टैंक में 125 एमएम की स्मूथबोर गन है। इसमें 12.7 एमएम की मशीनगन भी है। जिसे मैनुअली ऑपरेट किया जा सकता है। कमांडर इसे अंदर बैठकर रिमोट से भी कंट्रोल कर सकता है।
पी 81 नेपट्यून
भारत की 7500 किमी लंबी तटरेखा है। जिसमें सैंकड़ों आइलैंड हैं। इनकी हिफाजत के लिए ही पी-81 नेपट्यून जहाज है। यह अपनी शानदार मजबूती और सेंसर सूट के लिए किसी भी एयरक्राफ्ट से आगे है। बेस से 2 हजार किलोमीटर तक के मिशन पर यह 4 घंटे तक उड़ान भर सकता है। ये एक कमर्शियल एयरलाइनर के तौर पर रखा जाता है। जिसका रखरखाव बेहद आसान है। पी-81 नेपट्यून पर लंबी दूरी का रडार भी है और इसपर पनडुब्बियों को खोज निकालने के लिए एक खास तरह का सेंसर लगा है। यह अपने साथ 120 सोनोबॉयज के साथ 6-8 Mk-54 टारपीडो और अपने पंखों पर 4 हार्पून मिसाइल भी ले जा सकता है।
पिनाका
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन डीआरडीओ और भारतीय सेना द्वारा संयुक्त रूप से विकसित इस मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर में अनेक विशेषताएं हैं। पिनाका एक ऐसी हथियार प्रणाली है जिसका लक्ष्य मौजूदा तोपों के लिए 30 किलोमीटर के दायरे के बाहर पूरक व्यवस्था करना है। कम तीव्रता वाली युद्ध जैसी स्थिति के दौरान त्वरित प्रतिक्रिया और तेजी से दागने की क्षमता सेना को बढ़त दिलाती है।
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