मध्य-पूर्व के लिए दूत टोनी ब्लेयर ने एक भाषण में कहा कि पश्चिम के ताक़तवर देश रूस के साथ अपने मतभेदों को किनारे रखकर खुले दिमाग वाले समूहों का समर्थन करें.
ब्लेयर ने पश्चिमी देशों को चेतावनी देते हुए कहा है कि सीरिया में हस्तक्षेप न करने की उन्हें भारी क़ीमत चुकानी पड़ेगी.
उन्होंने कहा कि एक आशावादी समाधान निकालने का अवसर हम चूकते जा रहे हैं.
यूक्रेन को लेकर पश्चिमी देशों और रूस में जारी तनाव के बीच लंदन के ब्लूमबर्ग में ब्लेयर ने यह भाषण दिया.
पश्चिमी देशों का आरोप है कि पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों को समर्थन देने के लिए रूस गुप्त रूप से सैन्य मदद दे रहा है. वहीं रूस पश्चिम देशों के इन दावों का खंडन कर रहा है.
सहयोग की अपील
ब्लेयर संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, अमरीका और रूस के दूत के रूप में काम कर रहे हैं. उन्होंने अपने भाषण में कहा कि पश्चिमी देशों के नेता अपने एजेंडे में धार्मिक चरमपंथ के मुद्दे को ऊपर रखें.
इसके लिए पश्चिमी देशों को तमाम मतभेदों के बावजूद अन्य देशों ख़ासकर रूस और चीन के साथ सहयोग करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि उग्र विचारधारा की ओर से थोपा गया ख़तरा इस्लाम के सही संदेशों को विकृत कर भटका देगा. यह पूरी दुनिया में फैल रहा है.
"इन देशों में से कुछ इन विचारधारा की पकड़ से बचना चाहते हैं. लेकिन कई बार उनकी अपनी राजनीतिक मजबूरियों की वजह से इससे निकलना कठिन होता है"
-टोनी ब्लेयर, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री
ब्लेयर ने कहा, ''यह समुदायों, यहाँ तक कि राष्ट्रों को भी अस्थिर कर रहा है. वैश्विकरण के इस दौर में यह शांतिपूर्ण सह अस्तित्व की संभावनाओं को खोखला कर देगा और हम इस ख़तरे के प्रति बेहद उदासीन हैं.''
उन्होंने पश्चिमी देशों के नेताओं से कहा कि वो एक विचारधारा से सुरक्षा पर अरबों डॉलर खर्च करने की असंगति पर ध्यान दें, जिसका उन देशों के स्कूलों और संस्थाओं में समर्थन किया जाता है जिन देशों के साथ सुरक्षा और रक्षा को लेकर पश्चिम के घनिष्ठ संबंध हैं.
उन्होंने कहा, ''इन देशों में से कुछ इन विचारधारा की पकड़ से बचना चाहते हैं, लेकिन कई बार उनकी अपनी राजनीतिक मजबूरियों की वजह से इससे निकलना कठिन होता है.''
सीरिया समस्या
भाषण से पहले ब्लेयर ने बीबीसी से कहा कि पश्चिमी देशों की ज़िम्मेदारी के साथ-साथ उनके हित भी इसी बात में है कि इस बड़े संघर्ष का सही तरीके से समाधान सुनिश्चित किया जाए.
उन्होंने कहा," इन सबसे ऊपर हमें प्रतिबद्ध होना होगा और हमें इसमें लगना होगा."
सीरिया के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ''मैं जानता हूँ कि हस्तक्षेप के कितने कठिन परिणाम होंगे, लेकिन अगर आप सीरिया की तरफ देखेंगे तो आपको हस्तक्षेप न करने के परिणाम भी नज़र आएंगे और इसकी बहुत गंभीर क़ीमत चुकानी होगी.''
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