1- आर्यभट्ट 1975
आर्यभट्ट उपग्रह को इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन इसरो ने सोवियत यूनियन की मदद से बनाया था। इसे सैटेलाइट को सोवियत यूनियन ने ही लॉन्च किया था। आर्यभट्ट भारत और सोवियत यूनियन के बीच हुये एक एग्रीमेंट के बाद लॉन्च किया गया था। इस एग्रीमेंट को यूआर राव ने 1972 में साइन किया था। जिसके तहत सोवियत रूस भारतीय बंदरगाह को प्रयोग जहाजों को ट्रेक करने के लिये करेगा बदले में रूस भारत की सैटेलाइट लॉन्च करने में मदद करेगा। आर्यभट्ट को कपुस्तीन यार रॉकेट के जरिये लॉन्च किया गया था। इसके लिये कासमोस 3 एम लॉन्च वीहकल का प्रयोग किया गया था। आर्यभट्ट को एक्स रे एस्ट्रोनॉमी, एरोनॉमिक्स और सोलर फिजिक्स में प्रयोग को समझने के लिये बनाया गया था। आर्यभट्ट को पूरी तरह से सोलर सेल से ढका गया था।
2- इंडियन नेशनल सैटेलाइट सिस्टम 1983
1983 में भारत ने इंडियन नेशनल सैटेलाइट सिस्टम लॉन्च किया था। इसे कम्यूनिकेशन और ब्राडकास्टिंग के लिये लॉन्च किया गया था। इस सैटेलाइट के लॉन्च होने के बाद इंडियन टेलिविजन, रेडियो ब्राडकास्टिंग, टेलीकम्यूनिकेशन के साथ मैट्रोलॉजिकल सेक्टर्स में क्रांति आई थी। इसमें नौ सैटेललाइट काम करती हैं।
3- पोलार सैटेलाइट लॉन्च वीहिकल1993
पोलार सैटेलाइट लॉन्च वीहिकल को 1990 में तैयार किया गया था। इसके जरिये अंतरिक्ष में सैटेलाइट लॉन्च किये जाते हैं। 1993 में पीएसएलवी ने पहला सैटेलाइट लॉन्च किया था। इसके जरिये ही चन्द्रयान और मंगलयान को भी अंतरिक्ष में भेजा गया था। पीएसएलवी 19 देशों के 40 सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेज चुका है।
4- चन्द्रयान 2008
2008 में भारत ने पीएसएलवी की मदद से चन्द्रयान को अंतरिक्ष में भेजा था। भारत का यह मिशन अंतरिक्ष के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हुआ। इसरो ने चन्द्रमा पर अपना यह पहला उपग्रह भेजा था। इसरो का कुछ समय बाद चन्द्रयान से संपर्क टूट गया था।
5- मंगलयान 2014
इसरो ने 2014 में मंगलयान को मंगलग्रह पर भेज कर खुद को उन देशों की सूची में शामिल कर लिया था जिन्होंने मंगल पर अपने यान भेजे थे। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 450 करोड़ रुपये थी जो अन्य देशों के मार्स प्रोजेक्ट के मुकाबले कम थी। मंगलयान को मंगल पर मीथेन गैस के प्रमाण लेने और वहां के मौसम को समझने के लिये भेजा गया था।
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6- इंडियन रीजनल नैविगेशन सैटेलाइट सिस्टम 2016
भारत ने सात सैटेलाइट की मदद से अपना सैटेलाइट नैविगेशन सिस्टम लॉन्च किया था। इसका काम नक्शा तैयार करना, जियोडेटिक आंकड़े जुटाना, समय का बिल्कुल सही पता लगाना, चालकों के लिए दृश्य और ध्वनि के जरिये नौवहन की जानकारी, मोबाइल फोनों के साथ एकीकरण, भूभागीय हवाई तथा समुद्री नौवहन तथा यात्रियों तथा लंबी यात्रा करने वालों को भूभागीय नौवहन की जानकारी देना हैं।
7- रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल 2016
इसरो ने 2016 में रियूसेबल लॉन्च व्हीकल का सफलता पूर्वक परीक्षण किया था। टैक्नोलॉजी डिमॉन्सट्रेटर के मुताबिक इसे बनाने में 95 करोड़ की लागत आई थी। इसके जरिये लॉन्चिग का खर्च कम होगा। इसे लॉन्च करने के बाद भारत ने नासा की बराबरी कर ली है।
8- 104 सैटेलाइट 2017
19 अप्रैल 1975 में भारत ने रूस की मदद से अपना पहला उपग्रह लॉन्च किया था। 42 वर्षो बाद फरवरी 2017 में भारत ने एक साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च कर विश्व जगत में इतिहास रच दिया। ये 104 उपग्रह इसरो द्वारा पोलार सैटेलाइट लॉन्च वीहिकल से भेजे गये थे। पीएसएलवी सी 37 अपने साथ 104 सैटेलाइट लॉन्च किये थे। ये लॉन्च सतीश धवन स्पेश सेंटर श्रीहरिकोटा से सुबह 9 बजकर 28 मिनट पर किया गया था। 17 मिनट बाद रॉकेट ने सैटेलाइट को आर्बिट में छोड़ना शुरु किया था। 104 सैटेलाइट में 101 सैटेलाइट अन्य छह देशों के थे। जिसमें से 96 यूएस, 1 इजराइल, 1 यूएई, 1 नीदरलैंड, 1 स्वीटजरलैंड और 1 सैटेलाइट कजाकिस्तान का था। इससे पहले सर्वाधिक सैटेलाइट छोड़ने का रिकॉर्ड रसियन स्पेश एजेंसी के पास था। रासिया ने एक साथ 37 उपग्रह लॉन्च किये थे। ये मिशन जून 2014 में पूरा किया गया था। जून 2015 में भारत ने एक साथ 23 उपग्रहों को लॉन्च किया था।
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