गोद लिए गए बांड
रस्किन बांड ब्रिटिश मूल के भारतीय लेखक हैं जिन्हें उनके अभिवावकों ने गोद लिया है। उनका जन्म उत्तराखंड के पर्वतीय शहर मंसूरी में हुआ था। रस्किन के पिता ब्रिटेन की रॉयल एयरर्फोस में अधिकारी थे। उनका बचपन का काफी हिस्सा गुजरात के जामनगर, शिमला और पिता की मृत्यु के बाद दादी के साथ देहरादून में बीता था।
बचपन से ही लेखक
रस्किन जब स्कूल में ही थे उन्होंने लिखना शुरू कर दिया था। अपने स्कूल में उन्होंने कई राइटिंग कंप्टीशन में पुरस्कार जीते। बांड की पहली शॉर्ट स्टोरी अनटचेबल उन्होंने महज 16 साल की उम्र में लिखी थी।
लंदन में भी जीता पुरस्कार
शिक्षा पूरी करके काम की तलाश में बांड 1951 में लंदन चले गए। वहां भी उन्होंने लेखन का काम जारी रखा। इन्होंने वहीं रहते हुए अपना पहला उपन्यास द रूम ऑन द रूफ लिखा। ये एक आत्मकथात्मक कहानी तो जो एक एंग्लो इंडियन बच्चे रस्टी को मुख्य पात्र बना कर लिखी गयी थी। इसके चलते 1957 में 30 से कम के ब्रिटिश कामनवेल्थ लेखकों दिया जाने वाला John Llewellyn Rhys Prize पुरस्कार इन्हें दिया गया।
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भारत वापसी और लेखन बाद में बांड हिंदुस्तान लौट आये और यहां उन्होंने बतौर फ्रीलांसर काम करना प्रारंभ कर दिया। इसके साथ ही उनकी कहानियां और कवितायें विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में छपती रहीं। उन्होंने चार साल दिल्ली की एक पत्रिका का संपादन का काम भी संभाला।
पेंग्विन इंडिया से रिश्ता
1981 में जब पेंग्विन प्रकाशन ने अपना कार्यालय भारत में पेंग्विन इंडिया के नाम से शुरू किया तो उन्होंने बांड से उनकी कृतियां मांगी और प्रकाशित कीं। 1993 में उनके मशहूर उपन्यास रूम ऑन द रूफ का सीक्वल वैगारेंटस इन द वैली प्रकाशन पेंग्विन इंडिया से ही छपा।
साहित्य के कई रंग
रस्किन बांड को डरावनी कहानियां लिखने में भी बड़ा मजा आता था। इसीलिए उन्होंने तमाम फिक्शनल कहानियों के साथ कई हॉरर कहानियां भी लिखीं। उन्होंने भूतों को केंद्र में रख कर घोस्ट स्टोरीज द राज, अ फेस इन द डार्क और अ सीजन ऑफ घोस्ट जैसी कई रचनायें कीं।
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बाल साहित्य
इसके बाद बच्चों की शिकायत दूर करने के लिए बच्चों की कहानियां ही लिखने का निश्चय करने वाले बांड ने ढेरों कहानियां बच्चों के लिए लिख डालीं। उन्होंने करीब 50 बाल किताबें बच्चों के लिए ही लिखी हैं, जिनमें से स्कूल डेज, रस्टी द ब्वॉय फ्राम हिल्स और द टाइगर इन द टनल आदि काफी मशहूर रचनायें रही हैं।
बांड की रचनाओं पर फिल्में
बांड की किताबों पर फिल्में भी बनी हैं और काफी पसंद भी की गयी हैं। बांड की कहानी पर पहली फिल्म फेमस एक्टर शशि कपूर ने बनायी थी। शाशि की फिल्म जुनून बांड की कहानी ए फ्लाइट ऑफ पिजनंस पर ही आधारित थी। उनकी कहानी ब्लू अंब्रेला पर बनी फिल्म को क्रिटिकल एक्लेम मिला जबकि विशाल भारद्वाज के निर्देशन में बनी सुजैनाजे सैवन हसबैंड पर बेस्ड सात खून माफ तो काफी हिट भी रही थी।
टीवी धरावाहिक भी
जब बांड ने अपनी शॉर्ट स्टोरीज का एक संकलन विशाल को भेजा था तो उसमें से सुजैना की कहानी पर फिल्म की संभावनायें दिखीं और उन्होंने इसे फिल्म की कहानी के तौर पर तैयार करने का अनुरोध किया। इस फिल्म में रस्किन ने फादर का छोटा सा रोल भी प्ले किया था। इसके साथ ही बांड की शॉर्ट स्टोरीज पर दूरदर्शन पर एक धारावाहिक एक था रस्टी भी प्रसारित किया जा चुका है।
पुरस्कार
रस्किन बांड को कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। 1957 में कामनवेल्थ के जॉन लेवेलिन रीशे पुरस्कार और 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार सहित 1999 में पदम श्री और 2014 में पदम भूषण से सम्मानित किया जा चुका है।
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रस्किन की पसंद
रस्किन बांड को जीवन का हर रंग पसंद है। उन्होंने बतौर लेखक लगभग 50 साल पहले अपना सफर शुरू किया और हर जॉनर की कहानियां लिखीं। शुरूआत में उन्होंने फिक्शन, शॉर्ट स्टोरीज और उपन्यास लिखे जो काफी हद तक आत्मकथा की शैली में थे। इसके बाद उन्होंने नॉन फिक्शन, प्रेम कथायें और बच्चों के लिए लिखना प्रारंभ किया। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें निबंध और बच्चों की कहानियां लिखने में सबसे ज्यादा मजा आता है। वो अपने को एक विजुअल लेखक कहते हैं। इसका खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि वो कहानी को एक फिल्म की तरह अपने जहन में देखते हैं और तब लिखते हैं। दूसरी रचनाओं और लेखकों में उन्हें रिचमिकल क्रॉम्पटन की जस्ट विलियम्स, चार्ल्स हैमिल्टन की बिली बंटर, एलिस इन वंडरलैंड जैसी कहानियां, चार्ल्स डिकंस और मार्क ट्वेन की रचनायें पसंद हैं।
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