कानपुर। मिड-डे की रिपोर्ट के मुताबिक फिल्म 'राजा हरिशचंद्र' साल 3 मई साल 1913 में आई थी। इस फिल्म में जितने भी कलाकार हैं वो सभी पुरुष हैं क्कोंकि जिस समय ये फिल्म बनाई जा रही थी उस वक्त समाज में लड़कियों और औरतों का घर से बाहर निकलना ठीक नहीं समझा जाता था तो फिर वो फिल्मों में कैसे काम कर सकती थीं।
- भारतीय सिनेमा की पहली फीचर फिल्म दादा साहेब फाल्के के निर्देशन में बनी हरिशचंद्र की शूटिंग खत्म होने के बाद पता लगा की फिल्म की रील 3700 फीट लंबी हैं और 40 मिनट की है।
- फिल्म मेकर दादा साहेब फाल्के का जीवन उस वक्त काफी मशहूर कलाकार राजा रवि वर्मा से बहुत प्रभावित था, जिनसे मोटीवेट हो कर उन्हें इस फिल्म को बनाने का आइडिया आया।
- फिल्म बनने के बाद पहली बार लोगों को पर्दे पर 3 मई साल 1913 में दिखाई गई। बता दें कि फिल्म पहली बार मुंबई के कोरोनेशन सिनेमा, नारायन छोयल गिरगांव में दिखाई गई थी।
- राजा हरिशचंद्र भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म होने की वजह से उसका लोगों को पसंद आ पाना मुश्किल लग रहा था पर लोगों ने फिल्म को काफी पसंद किया। ये फिल्म आम लोगों के बीच बहुत सक्सेज हुई। आगे चल कर दाद साहेब फाल्के एक बेहतरीन प्रोड्यूसर बन कर उभरे जिन्हें आज हम हिंदी सिनेमा का पिता कहते हैं।
- भारतीय सिनेमा में हम सभी दादा साहेब फाल्के के रोल को जानते हैं, इन्हीं की वजह से भारतीय सिनेमा आज इतनी ऊंचाईयां छू रहा है पर उनकी पत्नी ने भी इस काम में उनका साथ बराबरी से निभाया ये बात बहुत कम ही लोग जानते हैं।
- दादा साहेब फाल्के की बीवी सरस्वती फाल्के भले ही फिल्म में कहीं नजर न आई हों पर पर्दे के पीछे उन्होंने भी अपना बडा़ योगदान दिया है। दरअसल बात ये है कि दादा सेट पर शूटिंग में बिजी होते थे तो इधर सरस्वति सेट पर खाने से लेकर क्रू के सोने और रहने के पूरे इंतजान खुद संभालती थीं।
- फिल्म राजा हरिशचंद्र में लगभग 500 क्रू मेंबर्स थे जिनके लिए दादा की पत्नी सरस्वति ने खाना बनाया, उनके कपडे़ धोए, फिल्म के पोस्टर्स बनाने में मदद की और फिल्म के प्रोडक्शन का भी सारा काम संभालती थीं। क्रू में एक भी महिला शामिल नहीं थी सिवाय सरस्वति के इसलिए उन्हें सब अकेले ही संभालना होता था।
- फिल्म की ओरिजनल रील की बात करें तो वो सिर्फ चार रील में ही थी। नैशनल फिल्म आर्काइव ऑफ इंडिया के पास इस फिल्म की यही पहली और आखिरी रील है। इस पर कुछ हिस्टोरियंस का कहना है कि साल 1917 में बनी एक फिल्म 'राजा हरिशचंद्र' का रिमेक है।
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