ऐसी है जानकारी
हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में केरनर ने तकनीकि और कम्पैटेबिलिटी को अपना मुख्य विषय बनाते हुए बात की। इनके मुताबिक ये वो दो अहम मुद्दे हैं, जो कि दंपति के उपचार में उनके सामने आते रहते हैं। वह कहते हैं कि एक कपल का ज्यादा से ज्यादा मोबाइल फोन को इस्तेमाल करना इस ओर इशारा करता है कि दोनों आपस में फेस-टू-फेस बहुत कम बात करते हैं। इस वजह से दोनों के बीच में बहस की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।
रिसर्च कहती है ये
एक रिसर्च सेंटर के मुताबिक 25 प्रतिशत शादीशुदा और युवा जोड़े एक दूसरे को तब ज्यादा टेस्ट करते हैं, जब दोनों साथ में घर पर होते हैं। कुला मिलाकर ये कहा जा सकता है कि मोबाइल फोन जोड़ों के अलग होने का इस समय सबसे बड़ा कारण हैं। यहां ये भी एक बड़ा सवाल है कि दोनों एकदूसरे के साथ होते हुए कितना समय ऑन लाइन बिताते हैं।
ये है केरनर का निजी अनुभव
केरनर जिन्होंने खुद अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट कर दिया है, कहते हैं कि सोशल मीडिया के कारण उनके जोड़े में भी दरार आने की संभावना थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने बहुत कम समय में इस बात का अहसास कर लिया कि वह वाकई नहीं चाहते कि उनकी पत्नी और ज्यादा समय तक फेसबुक पर उनकी फ्रेंड बनकर नहीं रह सकती। उनका कहना था कि वो वाकई इस बात को बिल्कुल नहीं जानना चाहते कि उनकी पत्नी ने दिन में कितनी कॉफी पी या वो सारे दिन के काम के बाद काफी थकी हुई है। ।
अनफ्रेंड करना ही होगा बेहतर
ऐसे में इन्होंने अपने फेसबुक के संक्षिप्त कार्यकाल से उसे अनफ्रेंड करना ही बेहतर समझा। ठीक ऐसी ही सलाह वो अन्य जोड़ों को भी देते हैं। वह इस बात का दावा करते हैं कि ऐसा करने से आपके रिश्तों में जरूर सुधार आएगा। 'लव फैक्चुअली' के लेखक डुआना वेल्क कहते हैं कि ऐसा करने से जोड़ों को समय मिलेगा साथ में बैठने और बातें करने के लिए। उन्होंने कई ऐसे मामले देखे हैं जिनमें जोड़ों के टूटने का सबसे बड़ा कारण तकनीकि है।
ये करते हैं सोशल मीडिया को शेयर
इन्होंने बताया कि कई ऐसे जोड़े हैं जो आपस में सोशल मीडिया को शेयर करते हैं और कुछ नहीं भी करते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में ऐसे में दोनों के बीच गलतफहमियां पैदा होने लगती हैं। वहीं, वेल्क कहते हैं कि आप अगर इस बात से सहमत नहीं हैं, तो जाकर खुश जोड़ों से पूछिए। ये सभी विचार इस बात का पूरी तरह से खंडन करते हैं कि जोड़ों को एकदूसरे के लिए हर जगह खुली किताब होना चाहिए।
सामने आया सच
हाल ही में हुए एक अध्ययन में सामने आया है कि आधे से ज्यादा प्रेमी जोड़े अपना मोबाइल पिन, ई-मेल पासवर्ड या सोशल मीडिया लॉग इन डीटेल्स को शेयर करने पर विश्वास रखते हैं। सैमसंग द्वारा करीब 2000 ब्रिटिश युवाओं पर जनवरी के सप्ताहांत में कमीशन अध्ययन किया गया। अध्ययन में सबसे ज्यादा प्रतिक्रियाएं महिलाओं की सुनने को मिलीं। इनमें से करीब 40 प्रतिशत महिलाओं का कहना था कि वो पहले से ही अपनी पार्टनर के ई-मेल पासवर्ड जानती हैं। अध्ययन में ये भी पाया गया कि दस में से चार युवा अपनी पार्टनर्स के फोन पर नजर रखते हैं। वहीं इनमें 10 में से 6 लोग ऐसे भी मिले, जिन्होंने अपने पार्टनर को उन्हें धोखा देते पाया।
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