अपेक्षाओं को समझें पर बोझ ना बनायें
ये सही है कि आपको ये बात मालूम होनी चाहिए कि सामने वाला शख्स आपसे क्या उम्मीद रखता है, पर ये भी जरूरी है कि आप उसे ये बताएं कि इस रिश्ते से आपकी क्या उम्मीदें हैं। ये जरूर जतायें की आपके लिए किसी रिलेशनशिप की क्या अहमियत है। पर अपनी अपेक्षायें सामने वाले पर और दूसरे की इच्छायें अपने ऊपर बोझ ना बनने दें।
हर बात पूरी हो ये जरूरी नहीं
ध्यान रखें कि सामने वाला आपकी या रिश्ते की तमाम जरूरते पूरी नहीं कर सकता। अगर आप ये बात मान लेंगे तो आप दोनों के बीच बेफिजूल के मनमुटाव की गुंजाइश नहीं होगी और आप भी किसी बात के लिए खुद को मजबूर नहीं समझेंगे।
समझौता है जरूरी
याद रखिए जो रिश्ता आपको खुशी देता है उसे कामयाब बनाने की पचास प्रतिशत जिम्मेदारी भी आप पर ही होती है। इसलिए रिश्ता चाहे सास-बहू का हो या मां-बेटे का, दोस्ती का या फिर पति पत्नी का, हर रिश्ते में सामज्स्य और समझौता जरूरी होता है। इसके लिए तैयार रहें और दिल से निभायें।
अच्छाई पसंद तो कमिया भी करे स्वीकार
अगर आपने किसी के साथ को उसकी अच्छाइयों के लिए अपनाया है तो याद रखें कि वो शख्स भी एकदम पर फेक्ट नहीं हो सकता । उसमें कुछ कमियां भी होंगी। इसलिए हर रिश्ते को उसकी कमियों के साथ अपनाएं। दो लोगों के विचार अलग हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब नहीं कि सामने वाला गलत है और आप सही। अपनी बात उनपर थोपें नहीं।
झगड़े बातचीत से सुलझायें
जहां प्यार होगा वहां झगड़ा भी जरूर होगा। महत्वपूर्ण बात ये है कि जब भी झगड़ा हो साथ बैठकर बात करें और उसे हल करें। सबसे खास ये है कि आपस की लड़ाई या मन मुटाव को ना तो किसी तीसरे के सामने जाहिर करें और ना ही उसे दूसरों को उसमें दखल देने दें।
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