तिब्बत की निर्वासित सरकार की चीनी भाषा की वेबसाइट को हैक कर वायरस से संक्रमित कर दिया गया है.
इस निर्वासित सरकार के अध्यात्मिक प्रमुख दलाई लामा हैं.
कंप्यूटरों की सुरक्षा पर काम करने वाली कंपनी कैसप्रस्की लैब ने कहा है कि केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) के वेबसाइट के साथ छेड़छाड़ की गई थी.
माना जा रहा है कि वेबसाइट पर आने वाले लोगों पर नज़र रखने के लिए ख़तरनाक़ वायरलस वाले साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया.
अन्य संगठनों पर भी निशाना
तकनीकी सबूतों से पता चलता है कि हैकर्स ने इसके पहले एशिया में कुछ मानवाधिकार संगठनों पर भी साइबर हमला किया था.
"सीटीए की बेसवाइट पर हमले के लिए हैकर्स ने 'वाटरिंग होल अटैक' नाम की एक विधि का उपयोग किया"
-कुर्ट बामगार्टनर, कैसप्रस्की लैब के शोधकर्ता
तिब्बत डॉट नेट तिब्बती प्रशासन की आधिकारिक वेबसाइट है, इसका संचालन भारत के धर्मशाला से किया जाता है.
इस संगठन के आध्यात्मिक नेता 14वें दलाई लामा है, जो 1959 में चीन विरोधी एक असफल विद्रोह के बाद तिब्बत से भागकर भारत आ गए थे. उन्होंने निर्वासित सरकार की स्थापना की थी. दलाई लामा को चीन एक अलगाववादी ख़तरा मानता है.
कैसप्रस्की लैब ने कहा कि सीटीए की बेवसाइट पर 2011 से हैकर्स का एक समूह लगातार हमले कर रहा है. लेकिन एक बड़े हमले से पहले किए गए हमलों की पहचान कर मरम्मत कर दी गई.
इसके अलावा इंटरनेशनल कैंपेन फ़ार तिब्बत जैसे संगठनों को भी निशाना बनाया गया.
वाटरिंग होल अटैक
कैसप्रस्की लैब के शोधकर्ता कुर्ट बामगार्टनर ने कहा कि हैकर्स इसके लिए 'वाटरिंग होल अटैक' नाम के एक तरीके का इस्तेमाल किया.
हो सकता है कि ऑरेकल जावा साफ़्टवेयर के सिक्योरिटी बग ने इसमें मदद की हो, इसने हैकर्स को कंप्यूटर्स के ब्राउजर में घुसने का रास्ता दिया.
बामगार्टनर कहते हैं कि हैकर्स के लिए यह अभी शुरुआती कामयाबी है, यहाँ से वे मनमाने तरीके से फ़ाइलें डाउनलोड कर उन्हें सिस्टम में डाल सकते हैं.
कैसप्रस्की के शिक्षा प्रबंधक राम हरकानायडू ने बताया कि हमले की जानकारी तब मिली, जब एक प्रमुख तिब्बती कार्यकर्ता का ईमेल अकाउंट हैक कर लिया गया.
हरकानायडू कहते हैं, ''इस तिब्बती वेबसाइट के खिलाफ हो रहे अभियान के पीछे चीनी भाषी लोग हो सकते हैं, क्योंकि बहुत से मामले में देखा गया है कि लॉग फ़ाइलें चीनी भाषा में लिखी हुई थीं.''
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