गुरूवार को प्रदोष व्रत पड़ता है तो उसका संयोग और भी अच्छा हो जाता है। पित्रपक्ष में यदि गुरूवार और प्रदोष का संयोग मिल जाता है तो भक्तों को अत्यंत कर्ज मुक्ति दायक होता है। भारतीय ज्योतिष के प्रमुख नक्षत्रों अस्लेखा नक्षत्र और मघा नक्षत्र दोनों मूल संयक नक्षत्र हैं। इनके होने के कारण इस प्रदोष पर व्रत रखने और पूजन करने से कर्ज से मुक्ति मिल जाएगी।
क्या है प्रदोष का अर्थ, क्यों होती है शिव-पार्वती की पूजा
प्रदोष का अर्थ है रात्रि की सुबह आरम्भ होना। इस प्रदोष व्रत के पूजन का विधान प्रदोष काल में ही होता है। इसलिए इसे प्रदोष व्रत कहते हैं।प्रदोष व्रत संतान की कामना और कर्ज मुक्ति के लिए किया जाता है। इस व्रत को स्त्रि-पुरूष दोनों ही कर सकते हैं। इस व्रत में भगवान शिव-पार्वती की पूजा होती है।
इन चीजों को पूजन के दौरान करें अर्पित
इस दिन भगवान शिव-पार्वती और नन्दी की पूजा की जाती है। जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्तु, यज्ञोपवित चंदन, रोल, चावल, पुष्प, बिल्वपत्र, धतूरा, कमल गट्टा, पान, सुपाड़ी, लांग-इलाइची, पंचमेवा, धूपदीप और दक्षिणा सहित भगवान शिव और उनके परिवार की पूजा करते हैं। प्रदोष व्रत की कथा भी सुननी और सुनाई जानी चाहिए। पूजन के दौरान 'ऊं नम: शिवाय' मंत्र का जाप करना चाहिए और इसके जाप के साथ-साथ प्रसाद भी चढ़ाया जाना चाहिए।
-ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडेय