उनके दो बेटों, अला और गमल, को भी दोषी पाया गया और उन्हें चार-चार साल की सज़ा सुनाई गई.

इन तीनों पर करीब 1.76 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है और 1.03 अरब रुपए से ज़्यादा की वह राशि लौटाने को कहा गया है, जिसकी चोरी का उन पर आरोप है.

86 वर्षीय मुबारक पर सत्ता के दुरुपयोग और 2011 के विद्रोह के दौरान प्रदर्शनकारियों की हत्या का भी मामला चलाया जा रहा है. उसी विद्रोह के बाद उन्हें सत्ता छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा था.

नज़रबंदी

उन्हें विरोध प्रदर्शनों से जुड़े मामलों में 2012 में दोषी पाया गया और उनके गृहमंत्री, हबीब अल-अदली, के साथ उम्र-क़ैद की सज़ा सुनाई गई.

लेकिन जनवरी 2013 में एक अदालत ने उनको दोषी पाए जाने के ख़िलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मानले की फिर से सुनवाई के आदेश दिए.

अगस्त में एक अदालत ने मुबारक को जेल से रिहा करने और काहिरा में एक सैन्य अस्पताल में नज़रबंद करने का आदेश दिया, जहां उन्हें अब भी रखा हुआ है.

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