10 साल में दिए 650 से ज्यादा एग्जाम
बेंगलुरु की रहने वाली प्रिया एक बड़ी कंपनी में काम करती हैं। शानदार लाइफस्टाइल और अच्छी सैलरी के बावजूद प्रिया अपनी खुशनुमा जिंदगी में डूबे रहने की बजाए कुछ खास करके खुश हो लेती हैं। जी हां 'पुष्पा प्रिया' नाम की 30 साल की यह लड़की तमाम दिव्यांगों की मदद के लिए उनके एग्जाम लिखती है। तमाम दृष्टिहीन और दिव्यांग स्टूडेंट्स जो अपने एग्जाम पेपर लिख नहीं सकते, प्रिया ऑफीशियली उनके साथ एग्जाम हॉल में बैठकर उनका पेपर लिखती हैं। पिछले करीब 10 सालों के दौरान प्रिया 650 से ज्यादा एग्जाम लिख चुकी हैं। ऐसा काम करके वो तमाम दिव्यांगों के करियर और जिंदगी को संवारने में शायद सबसे बड़ा योगदान देती हैं।
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क्या है प्रिया की प्रेरणा
प्रिया इतने सारे दिव्यांग लोगों की मदद क्यों करती हैं? इसके पीछे भी तो कोई गहरी वजह होगी। जी हां प्रिया बताती हैं कि उनकी खुद की पढ़ाई के दौरान उनका परिवार काफी गरीब था और एग्जाम की फीस भरने के लिए उनकी फैमिली के पास पैसे नहीं थे। इस कारण उन्हें एक बार अपने एग्जाम हॉल से बाहर निकाल दिया गया था। वो बात उन्हें हमेशा चुभती रही और इन दिव्यांग लोगों के पेपर लिखकर उन्हें यह एहसास होता है कि वो भले ही बड़ी मुश्किल से अपनी पढ़ाई पूरी कर पाईं और अपना करियर बना पाईं लेकिन दूसरों को इस तरह की परेशानी ना उठानी पड़े। तभी तो प्रिया अपनी बिजी लाइफ और जॉब से समय निकालकर ऐसा करती हैं। प्रिया सच में उन तमाम दिव्यांगों और दृष्टिहीनों के लिए उम्मीद की किरण और प्रेरणा स्रोत हैं, क्योंकि प्रिया की वजह से ही वो लोग तमाम कठिनाइयो के बावजूद अपने अच्छे भविष्य की उम्मीद कर पाते हैं।
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कैसे हुई ये अनोखी शुरुआत
पहली बार साल 2007 में प्रिया ने एक डाउन सिंड्रोम बीमारी से पीड़ित बच्चे का पेपर लिखा। ऐसा करने के बाद प्रिया को यह अनुभव हुआ कि जब वो किसी स्टूडेंट का पेपर लिखती है तो उनके लिखने का उस बच्चे के रिजल्ट और उसके फ्यूचर पर बड़ा इफ़ेक्ट होता है। यही वजह है कि प्रिया की कोशिश होती है कि वो बच्चा एग्जाम के दौरान भले ही प्रेशर में या टेंशन में हो लेकिन वो खुद शांत रहकर उसे क्वेश्चन पेपर में दिया सवाल अच्छे से समझाती हैं और उसके उत्तर को ठीक से समझकर उसे आंसर शीट पर लिखती हैं। पेपर अच्छे से अच्छा दिया जा सके इसके लिए प्रिया को बहुत ही धैर्य और संयम से काम लेना होता है क्योंकि कई बार एग्जाम में आए सवाल, बच्चों को बार बार समझाने पड़ते हैं ताकि वो उसका सही उत्तर दे सकें। Image source: facebook/pushpa Preeya
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