अफ्रीका के चितकबरे लकड़बग्घे शिकार के लिए बहुत बदनाम हैं। वो शेरों के बाद अफ्रीका के दूसरे बड़े शिकारी जानवर माने जाते हैं। ये लकड़बग्घे अफ्रीका के कई देशों में बस्तियों पर धावा बोलते रहते हैं।
दावत पर बुलाते हैं लकड़बग्घों को
मगर दिलचस्प क़िस्सा ये है कि इथियोपिया में एक शहर ऐसा है, जहां के लोग इन ख़तरनाक लकड़बग्घों को दावत पर बुलाते हैं। इथियोपिया के इस शहर का नाम है हरार।
यहां पर क़रीब चार सौ सालों से लकड़बग्घों को दावत पर बुलाने की मान्यता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि ये लकड़बग्घे बुरी आत्माओं को अपना शिकार बनाते हैं। लिहाज़ा शहर भर के कसाई गलियों में हड़्डियां और गोश्त फेंक देते हैं। लकड़बग्घे जंगलों से आकर इन्हें अपना लुकमा बनाते हैं।
लकड़बग्घों के दो गिरोह हरार शहर में आते हैं। दोनों के बीच गोश्त के लिए जंग भी होती है। जो गिरोह जीतता है, मांस और हड्डियां उन्हें ही मिलती हैं।
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हरार में रहने वाले यूसुफ ऐसे शख़्स हैं जो इन ख़तरनाक लकड़बग्घों को अपने हाथ से खिलाते हैं। उन्होंने इन लकड़बग्घों से अच्छा राब्ता बना लिया है। यूसुफ़ इन लकड़बग्घों को अपने घर में बुलाकर दावत देते हैं। अपने हाथ से मांस खिलाते हैं।
दुनिया पर इंसान की दादागीरी चलती है। ऐसे में जानवरों के लिए इंसानी बस्तियों में रहना आसान नहीं है। लेकिन दुनिया में कई ऐसे जानवर हैं, जिन्होंने इंसानों के बीच जाना-आना सीख लिया है।
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मुंबई में अक्सर तेंदुए रिहाइशी बस्तियों में घुस आते हैं। ये स्थानीय लोगों के पालतू जानवरों को अपना शिकार बनाते हैं। कई बार ये तेंदुए इंसानों पर भी हमला कर देते हैं। हालांकि ये हमला अक्सर वो घबराहट में करते हैं।
इसी तरह न्यूयॉर्क में शिकारी बाज़ बहुमंज़िला इमारतों के बीच मंडराते दिख जाते हैं। वो इंसानों के बीच अपना शिकार तलाशते हैं।
वहीं रोम के अर्श पर अक्सर लोगों को स्टार्लिंग नाम के परिंदों के झुंड दिखाई दे जाते हैं। ये शर्मीले पक्षी अब इंसानों के बीच रहना सीख गए हैं।
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हमारे पुरखे कहे जाने वाले बंदर वो जानवर हैं, जो सबसे ज़्यादा इंसान के पास रहते देखे गए हैं। इनके झुंड मथुरा-आगरा से लेकर जयपुर और चित्रकूट तक लोगों को परेशान करते, सामान छीनते देखे जा सकते हैं। बंदरों के लिए इंसानों के बीच रहना आम बात हो गई है।
ऑस्ट्रेलिया में रहने वाला पक्षी बॉवर इंसानों की चीज़ों से अपना घोंसला बनाता है, ताकि मादा को लुभा सके। इसके लिए वो अक्सर इंसानों के रंग-बिरंगे सामान चुरा ले जाता है।
कुल मिलाकर हम ने क़ुदरत के संसाधनों पर जिस तरह से एकाधिकार कर लिया है, उससे बाक़ी जानवरों के लिए ज़िंदगी बेहद मुश्किल हो गई है। नतीजा वो ज़िंदगी को दांव पर लगाकर इंसानों के बीच आते हैं, ताकि अपने रहने-खाने का इंतज़ाम कर सकें।
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