इंफेक्शन रोकने की कोशिश
रायपुर से महज 50 किमी दूर भाटापारा का चंद्रमोहन 2 दिसंबर 2015 को बाइक एक्सीडेंट में घायल हो गया थ्ाा। उसके सिर पर गहरी चोट लगी थी। इस दौरान उसे वहां के प्राइमरी हेल्थ सेंटर ले जाने पर टांके लगा दिए गए। इसके बाद उसे दर्द से प्रॉब्लम होती रही। जिस पर उसने देवेंद्रनगर के हैरिटेज अस्पताल में डॉक्टरों को अपनी तकलीफ बताई। यहां पर पता चला कि बिना सफाई के टाके लगने से उसे ये प्रॉब्लम हो हई। हालांकि डाक्टरों ने प्लास्टिक सर्जरी के जरिए इंफेक्शन रोकने की कोशिश की लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से उसके सिर में गलन होने लगी।
खोपड़ी काट बाहर कर दी
इसके बाद डॉक्टर्स ने उसके सिर को ठीक करने के लिए एक बड़ा कदम उठाने का प्लान किया। डॉक्टरों ने उसे बोन सीमेंट की खोपड़ी लगाने का प्लान किया।डॉक्टर्स ने चंद्रमोहन के माथे से कान के पीछे तक खोपड़ी की हड्डी गोलाई से काट बाहर निकाल दी। इसके बाद उसकी पूरी खोपड़ी बोन सीमेंट से बनाई और उसको यह खोपड़ी लगाई। यह एक काफी कठिन ऑपरेशन था। इसके करीब दो सप्ताह बाद डॉक्टर्स ने प्लास्टिक सर्जरी के जरिए सिर के बाल भी लगा दिए। इतना ही नहीं उसके माथे की स्किन भी दोबारा लग गई है। इस युवक के सिर के पीछे तक 25 सेमी तक और दोनों कानों के बीच करीब 28 सेमी की पूरी खोपड़ी बोन सीमेंट की है।
दुनिया में यह दूसरी सर्जरी
वहीं इस सर्जरी को अंजाम देने वाले डॉक्टर झा का कहना है कि बोन सीमेंट पॉली मिथाइल मिथा क्रिलेट का कंपाउंड होता है। जिसमें पाउडर को केमिकल डालकर पेस्ट बनाया जाता है। इस पेस्ट को तैयार करने के बाद 5 मिनट के अंतर में चंद्रमोहन के सिर की खोपड़ी का शेप देकर फिट कर दिया गया था। यह युवक पूरी तरह से स्वस्थ्य है और देखने में वह बिल्कुल पहले जैसी खोपड़ी दिख रही है। युवक अपने इस नए जीवन से काफी खुश हैं। वहीं डॉक्टर्स का दावा है कि यह दुनिया में दूसरी सर्जरी है। पहली सर्जरी 2014 में अमेरिका में हुई थी। वहीं भारत का यह पहला मामला है।
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