सबसे पहले हमें कार अपने बजट को देखते हुए खरीदनी चाहिए। अक्सर लोग स्टाइल और मुंह सुनी बातों में आकर अपने बजट से उपर चले जाते हैं। जिन्हें बाद में अपनी गलती का एहसास होता है। सबसे पहले तो तय करें कि आप आसानी से कितना खर्च कर सकते हैं। अगर आप हैचबैक कार लेने की सोच रहे हैं तो आपको समझना होगा कि हैचबैक कारों के मॉडल में 20-30 हजार का अंतर आ जाता है।
कार खरीदने से पहले सेल्समैन से इस पर बिना हिचक चर्चा करें। हर मॉडल और उसके फीचर के बारे में विस्तार से जानें और उनके बीच का फर्क समझें। इसके बाद अपनी जरूरत के फीचर को देखते हुए कार का चुनाव करें। इस बात को लेकर सतर्क रहें कि आप अपने बजट से कितना उपर जा रहे हैं और कौन से फीचर ही भविष्य में मदद करेंगे और कौन से बेकार रहेंगे।
कार खरीदने से पूर्व ये तय कर लें कि आपकी जरूरत किस साइज की कार पूरी कर सकती है। अगर आपका परिवार छोटा है और आप शहर के मकसद से कार खरीदना चाहते हैं तो हैचबैक एक बेहतर विकल्प है। सपाटे के मकसद से कार खरीदना चाहते हैं तो एसयूवी की जगह सैलून सेगमेंट तरजीह दें। सैलून और एसयूवी सेगमेंट की कीमत अन्य सेगमेंट की तुलना में ज्यादा महंगी होती है।
माइलेज कार खरीदने के दौरान एक जरूरी वजह होती है। आज के समय में एक कार कई इंजन में उपलब्ध होती है। जैसे वॉक्सवैगन पोलो दो अलग इंजन 1.2 और 1.6 लीटर में मौजूद है। बेहतर कार माइलेज को देखते हुए 1.2, 1.6 लीटर की तुलना में ज्यादा बढ़िया विकल्प है।
वहीं डीजल इंजन, पेट्रोल की तुलना में ज्यादा किफायती होता है। लेकिन डीजल इंजन लेना तब ज्यादा कारगर होता है जब आप करीब 100 किमी का सफर तय करते हों। अक्सर लोग डीजल इंजन कार को किफायत के कारण खरीद लेते हैं जबकि वह रोज कम सफर करते हैं। इसलिए कार की माइलेज और सफर के आधार पर खरीदना चाहिए।
आप अगर एक स्पोर्टी लुक की बड़ी कार की तलाश में हैं। तो एसयूवी गाड़ियां आपके लिए हैं। ये गाड़ियां आफ रोड भी बढ़िया परफॉर्मेंस देती हैं। यह गाड़ियां आरामदायक और लंबे सफर के लिए बढ़िया हैं। परंतु आम भारतीय शहर को देखते हुए इन्हें शहर के भारी ट्रैफिक में चलाना कठिन हो जाता है। कार खरीदने से पहले उपभोक्ताओं को मेंटिनेंस का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि कार को खरीदना आसान है लेकिन मेंटेन करना कठिन होता है।
पुरानी कार अक्सर नई कारों की अपेक्षा ज्यादा सस्ती साबित होती हैं। क्योंकि पुरानी लॉन्च गाड़ियों के पार्ट्स आसानी से कम दामों पर उपलब्ध हो जाते हैं। उदाहरण के लिए मारुति की अल्टो को, आईटेन की तुलना में मेंटेन करना ज्यादा आसान है। इसलिए कार का चुनाव करने से पहले कंपनी द्वारा दी जा रही फ्री मेंटिनेंस स्कीमों को भी ध्यान में रखना चाहिए। कई कंपनियां फ्री सर्विसिंग जैसी स्कीम चलाती है। जो आमतौर पर ज्यादा किफायती साबित होती है।
इसलिए भारत में किसी अन्य कंपनी की ओर जाने से पहले ग्राहक मारुति सुजुकी को खरीदना चाहता है। दरअसल मारुति एक जाना-माना नाम है और ज्यादा बिक्री के कारण इसका मेंटिनेंस अधिक किफायती साबित होता है। हर कार अत्याधुनिक फीचर के साथ अलग अलग मॉडल्स में उपलब्ध होती है। कई कारों में सेफ्टी के मद्देनजर एबीएस और एयरबैग जैसी तकनीक दी जाती है।
अगर इनके दामों में अंतर देखा जाए तो पता चलेगा कि ऐसे फीचर दूसरे मॉडल से ज्यादा महंगे होते हैं। मारुति एर्टिगा का जेडएक्सआई मॉडल इसके वीएक्सआई मॉडल से पचास हजार रुपये से ज्यादा महंगा है। इसके साथ ही अन्य दूसरे फीचर जैसे सनरूफ, महंगे म्यूजिक सिस्टम या नेविगेशन सिस्टम आदि की जरूरत हो तभी खरीदें। ऐसे फीचर वाले कार के मॉडल सामान्य कारों की तुलना में अधिक महंगे होते हैं।
कार खरीदने से अगर आप इन बातों का ख्याल रखेंगे तो ये आपकी जेब के लिए किफायती और आपके लिए चिंता मुक्त साबित होगा। इसलिए सेल्स प्रतिनिधि से हर मुद्दे पर चर्चा करें, कार के संदर्भ में सही जानकारी हासिल करें। कार खरीदने के बाद होने वाले सारे खर्चों की जानकारी रखें। विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों की पॉलिसीज के बारे में भी जानें। कई बार इंशयोरेंस कंपनियां अपनी पॉलिसीज पर तमाम तरह की छूट और लाभ देती हैं। पहली बार गाड़ी खरीदते समय हर प्रकार के खर्चे का ध्यान रखना बेहद ही जरूरी होता है।
कभी भी अपनी पहली कार हड़बड़ी में नहीं खरीदनी चाहिए। कार खरीदने से पहले एक लिस्ट बनाएं जिसमें आप 3-4 कारों को शॉर्टलिस्ट करें। इसके बाद आप उन सभी कारों में देखें कि कौन-सी कार आपके लिए मुफीद रहेगी। इस मामले में ऐसे दोस्तों से भी सलाह लें जिनके पास उसी कंपनी की कारें हों जिसे आप लेना चाहते हैं। इसके बाद ही शोरूम की तरफ अपने कदम बढ़ाएं।
आप यदि किसी कंपनी के डीलर के पास पहुंचेंगे तो वह उसी कंपनी की कारों के गुण गाएगा। कभी भी अपने पसंदीदा मॉडल की पूरी छानबीन किए बिना गाड़ी खरीदने न जाएं। यह सोचना की शोरूम का बंदा या डीलर तो सब बता ही देगा, आपके लिए भविष्य में पछतावे का कारण बन सकता है।
जब आप पहली कार खरीद रहे हों तो हमेशा अपने बजट से आगे न बढ़ें। कई बार हम अंदाजा नहीं लगा पाते कि कार आने के बाद हमारे खर्चों में कितनी बढ़ोतरी होने वाली है। इसलिए हमेशा कुछ पैसे बचत के तौर पर भी रखें। यदि आप किसी बड़े शहर में रह रहे हों तो सेकंड हैंड कारों पर भी दांव खेला जा सकता है। क्योंकि एक तो इन शहरों की सड़कें अच्छी होती हैं, दूसरी ऑफिस जाने वाले लोग आमतौर पर अपनी कार का बहुत ज्यादा इस्तेमाल नहीं करते।
यदि आपने अपनी पहली कार लेने के लिए कार लोन लिया है तो कोशिश करिए कि आने वाली कार आपके एक-एक रुपये की पूरी कीमत वसूल करवा दे। इसके अलावा खुद के बैंक के साथ-साथ दूसरे बैंकों के कार लोन और उनसे जुड़ी तमाम चीजों का रिसर्च कर लें। कई बार कार लोन देने वाले बैंक भी आकर्षक पैकेज ऑफर करते हैं। जितना ज्यादा हो सके उतने बैंकों के कार लोन और उस पर लगने वाले इंट्रेस्ट आदि की जानकारी ले लें।
आप जब भी कार खरीदने जाते हैं तो डीलर की कोशिश होती है कि आपके पहले विजिट में ही आपको कार बेच दे। उनको पता होता है कि यदि वे आपको कार बेचने में सफल हो जाते हैं तो आप बाकी डीलर्स के पास जाएंगे ही नहीं और इस तरह से आप एक बेहतर डील से वंचित हो जाते हैं। जब भी कार खरीदने जाएं, तो तीन-चार डीलर्स से जरूर मिल लें। कई बार तो ऐसा करने पर आपको थोड़ा-बहुत डिस्काउंट भी मिल जाता है। विशेषकर जब मामला सेकंड हैंड कारों का हो।
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