वह इसलिए क्योंकि उनको चढ़ाए जाने वाली सभी तरह की पूजन सामग्रियों का आयुर्वेद में अत्याधिक महत्व है। शिव के ऊपर चढ़ने वाले सभी सामग्रियों को चरक संहिता में औषधि के रूप में अपनाया गया है। मानता है कि शिव पर 108 तरह की पूजन सामग्री रुद्राभिषेक सहित अन्य पूजन में इस्तेमाल होती हैं। यह एक अलग बात है कि सभी सामग्रियां आयुर्वेद में या तो दवा के रूप में या सीधे इस्तेमाल की जाती हैं, या किसी-किसी सामग्री को प्राकृतिक चिकित्सा की तरह छूने से भी लाभ मिलता है।
बेलपत्र
बेलपत्र में एंटी ऑक्सीडेंट तत्व होता है। इसके सेवन से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। ज्योतिष और आयुर्वेद की सलाह पर सीधे-सीधे पत्तियों को भी खाया जा सकता है। डायबिटीज के रोगियों के लिए यह कारगर दवा है।
चंदन
सावन मास में चंदन भी कारगर औषधि का कार्य करता है। बरसात के दौरान होने वाले वायु संबंधी रोग को यह मस्तिष्क में नहीं आने देता। इसके ठंडक से शरीर का रक्त चाप ही संतुलित रहता है।
कनेर
कनेर का प्रयोग बरसात में होने वाले त्वचा संबंधी रोग के निदान के लिए इस्तेमाल किया जाता है और इससे इस मौसम में होने वाली फंगस को भी दूर किया जाता है।
दूध
दूध को आयुर्वेद में संपूर्ण आहार माना जाता है। श्रावण मास के दौरान इसका सेवन रात में वर्जित माना जाता है। इसके बावजूद यह बरसात में होने वाले वायु रोग को दूर करने में सहायक होता है। दूतावास में वात नाशक होता है।
तुलसी
तुलसी का प्रयोग बुखार एवं अन्य संक्रमण रोग के खात्मे के लिए किया जाता है। बरसात में तुलसी में मिलने वाले तमाम तरह के तत्वों से संक्रमण को रोका जा सकता है और बगैर किसी चिकित्सीय सलाह के भी तुलसी दल खाया जा सकता है।
धतूरा
आयुर्वेद में धतूरे का उपयोग सीधे नहीं बल्कि दवा में मिला करके किया जाता है। धतूरे के बीज को गर्म तेल में मिलाकर शरीर में लगाने से वार्ड की समस्या दूर होती है।ये सांस एवं हंसी के दिक्कतों को दूर करने में अत्याधिक सहायक है।
बेल का फल
बेल के गूदे को चूर्ण की तरह उपयोग करने से बारिश में होने वाले संक्रमण से उत्पन्न खून की कमी को कम किया जा सकता है। दिल से पेट संबंधी रोग को भी दूर किया जाता है।
गुलाब
सावन मास में गुलाब का महत्व है। गुलाब महत्वपूर्ण औषधि के रूप में काम आती है। इसके सेवन से शरीर के दोषों को संतुलित करने में मदद मिलती है। यहां रक्तवर्धक भी है जिसे सावन महीने के दौरान लेने से कमजोरी दूर होती है।
शहद
आयुर्वेद में शहद को अत्यधिक शक्तिवर्धक माना जाता है। इसमें मिलने वाले तत्वों से कुछ की वजह से सहित ऊर्जा देने के साथ-साथ बरसात में होने वाले संक्रमण को दूर करने के भी काम आता है।
भांग
भांग का प्रयोग खान की चीजें बनाने के लिए किया जाता है। इसमें एंटीअमीबिक गुण होने की वजह से बरसात में होने वाले आम बीमारियों को दूर किया जा सकता है।
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मदार
मदार की फूलों का प्रयोग अर्कवती में इस्तेमाल किया जाता है। बरसात में विशेषकर पाचन व यकृत संबंधी दोष को दूर करने के लिए किया जाता है।
पंडित दीपक पांडेय
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