अपना उदाहरण न दे:

अक्सर लोग बच्चों से यह कहने लगते हैं कि जब हम उनकी उम्र में थे तो ये करते थे वो करते थे। आपकी और बच्चे के बीच एक पूरी पीढ़ी का फर्क होता है। इससे बच्चे के मन में खुद को लेकर मायूसी भी होने लगती है।

दूसरे बच्चों से तुलना नही:

अपने बच्चे से कभी यह न कहें कि उनके दोस्त का या किसी और का बच्चा इतना तेज है, सीधा है। इससे बच्चे के अंदर हीन भावना उत्पन्न होती है। हर बच्चे का नेचर उसकी परवरिश और घर के माहौल पर तय होती है।

कभी ठीक काम नहीं कर सकते:

बच्चे को कभी यह न कहें कि वह जब करता है तो गलती करता है। वह कभी अच्छा काम तो कर ही नहीं सकता है। इससे उसे मानसिक परेशानी होगी। इसके साथ ही उसमें किसी काम की पहल की हिम्मत नहीं रह जाएगी।

भाई बहनों से बराबरी नहीं:

बच्चों में आपस में कभी भाई बहनों की तुलना न करें। ऐसा करने पर वे अपनों से ही जलन की भावना पाल बैठते हैं। जिससे उनके बीच काफी दूरियां आ जाती हैं। कई बार वे डिप्रेसन में चले जाते हैं।

दोस्तों से दूर न करें:

बच्चों के दोस्तों पर नजर रखे, लेकिन उनसे हमेशा ये न कहें कि दोस्तों का साथ छोड़ दो। दोस्तों का साथ छोड़ने का दबाव बनाने से वे अकेले की ओर भागने लगेंगे। वे अपनों से भी बात करने में करराएंगे।

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